वी॒रस्य॒ नु स्वश्व्यं॑ जनासः॒ प्र नु वो॑चाम वि॒दुर॑स्य दे॒वाः। षो॒ळ्हा यु॒क्ताः पञ्च॑प॒ञ्चा व॑हन्ति म॒हद्दे॒वाना॑मसुर॒त्वमेक॑म्॥
vīrasya nu svaśvyaṁ janāsaḥ pra nu vocāma vidur asya devāḥ | ṣoḻhā yuktāḥ pañca-pañcā vahanti mahad devānām asuratvam ekam ||
वी॒रस्य॑। नु। सु॒ऽअश्व्य॑म्। ज॒ना॒सः॒। प्र। नु। वो॒चा॒म॒। वि॒दुः। अ॒स्य॒। दे॒वाः। षो॒ळ्हा। यु॒क्ताः। पञ्च॑ऽपञ्च। आ। व॒ह॒न्ति॒। म॒हत्। दे॒वाना॑म्। अ॒सु॒र॒ऽत्वम्। एक॑म्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब ईश्वर के गुणों का वर्णन अगले मन्त्र में करते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेश्वरगुणानाह।
हे जनासो वयमस्य वीरस्य स्वश्व्यं नु प्रवोचाम ये युक्ताः देवा देवानां महदेकमसुरत्वं विदुर्ये षोढा युक्ताः पञ्चपञ्च यदा वहन्ति तद्विदुस्तान् प्रति वयमेतद्ब्रह्म नु वोचाम ॥१८॥
MATA SAVITA JOSHI
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