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पद्या॑ वस्ते पुरु॒रूपा॒ वपूं॑ष्यू॒र्ध्वा त॑स्थौ॒ त्र्यविं॒ रेरि॑हाणा। ऋ॒तस्य॒ सद्म॒ वि च॑रामि वि॒द्वान्म॒हद्दे॒वाना॑मसुर॒त्वमेक॑म्॥

English Transliteration

padyā vaste pururūpā vapūṁṣy ūrdhvā tasthau tryaviṁ rerihāṇā | ṛtasya sadma vi carāmi vidvān mahad devānām asuratvam ekam ||

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Pad Path

पद्या॑। व॒स्ते॒। पु॒रु॒ऽरूपा॑। वपूं॑षि। ऊ॒र्ध्वा। त॒स्थौ॒। त्रि॒ऽअवि॑म्। रेरि॑हाणा। ऋ॒तस्य॑। सद्म॑। वि। च॒रा॒मि॒। वि॒द्वान्। म॒हत्। दे॒वाना॑म्। अ॒सु॒र॒ऽत्वम्। एक॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:55» Mantra:14 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:30» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (विद्वान्) विद्यायुक्त मैं जो (ऋतस्य) सत्य और (देवानाम्) विद्वानों में (महत्) बड़े (एकम्) द्वितीयरहित (सद्म) स्थान और (असुरत्वम्) दोषों के दूर करनेवाले को (वि, चरामि) प्राप्त होता हूँ उससे नियमित (पद्या) अंशों में होनेवाली रात्रि सबको (वस्ते) आच्छादित करती घेरती है। अन्या (त्र्यविम्) कार्य्य कारण और जीव नामक तीन वस्तुओं की रक्षा करनेवाले और (वपूंषि) रूपों को (रेरिहाणा) अत्यन्त चाटती हुई (ऊर्ध्वा) उत्तम (पुरुरूपा) बहुत रूप युक्त प्रातःकाल (तस्थौ) स्थित है उसको वे और आप लोग जानें ॥१४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे दिन अनेक रूपों को दिखाता है, वैसे ही रात्रि सबको घेरती है, ये ही सत्य के कारण से उत्पन्न हुए और उत्पन्न होनेवाले को जानकर सबके बनानेवाले परमेश्वर को सुखपूर्वक जानो ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Anvay:

हे मनुष्या विद्वानहं यदृतस्य देवानां च महदेकं सद्मासुरत्वं विचरामि तेन नियामिता पद्या रात्रिः सर्वान् वस्ते। अन्या त्र्यविं वपूंषि रेरिहाणोर्ध्वा पुरुरूपोषा तस्थौ तं ते यूयञ्च विजानीत ॥१४॥

Word-Meaning: - (पद्या) पादेष्वंशेषु भवा (वस्ते) आच्छादयति (पुरुरूपा) बहुरूपा (वपूंषि) रूपाणि (ऊर्ध्वा) उत्कृष्टा (तस्थौ) तिष्ठति (त्र्यविम्) कार्य्यकारणजीवाख्यानि त्रीणि वस्तूनि यो रक्षति तम् (रेरिहाणा) भृशं लिहन्ती (ऋतस्य) सत्यस्य (सद्म) गृहम् (वि) (चरामि) (विद्वान्) (महत्) (देवानाम्) (असुरत्वम्) (एकम्) ॥१४॥
Connotation: - हे मनुष्या यथा दिनं विचित्राणि रूपाणि दर्शयति तथैव रात्रिः सर्वाण्याच्छादयति इम एव सत्यकारणादुत्पद्यमानजन्ये विदित्वा सर्वस्य निर्मातारमीशं च सुखेन विचरन्तु ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जसा दिवस अनेक रूपे दर्शवितो तशीच रात्र सर्वांना आच्छादित करते. हेच सत्य कारणापासून उत्पन्न झालेले व उत्पन्न होणारे आहे हे जाणून सर्वांना उत्पन्न करणाऱ्या परमश्ेवराला सुखपूर्वक जाणा. ॥ १४ ॥