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त्रि॒भिः प॒वित्रै॒रपु॑पो॒द्ध्य१॒॑र्कं हृ॒दा म॒तिं ज्योति॒रनु॑ प्रजा॒नन्। वर्षि॑ष्ठं॒ रत्न॑मकृत स्व॒धाभि॒रादिद्द्यावा॑पृथि॒वी पर्य॑पश्यत्॥

English Transliteration

tribhiḥ pavitrair apupod dhy arkaṁ hṛdā matiṁ jyotir anu prajānan | varṣiṣṭhaṁ ratnam akṛta svadhābhir ād id dyāvāpṛthivī pary apaśyat ||

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Pad Path

त्रि॒ऽभिः। प॒वित्रैः॑। अपु॑पोत्। हि। अ॒र्कम्। हृ॒दा। म॒तिम्। ज्योतिः॑। अनु॑। प्र॒ऽजा॒नन्। वर्षि॑ष्ठम्। रत्न॑म्। अ॒कृ॒त॒। स्व॒धाभिः॑। आत्। इत्। द्यावा॑पृथि॒वी इति॑। परि॑। अ॒प॒श्य॒त्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:26» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:27» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब शुद्ध मनुष्य कौन हैं? इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (त्रिभिः) शरीर वाणी और मन से (पवित्रैः) पवित्र करने में कारण तेजों और (हृदा) हृदय से (अर्कम्) उत्तम प्रकार संस्कार किये अन्न को (अपुपोत्) पवित्र करे (हि) जिससे (ज्योतिः) प्रकाश तथा (मतिम्) बुद्धि को (अनु) (प्रजानन्) अनुकूल जानता हुआ (स्वधाभिः) अन्न आदिकों से (वर्षिष्ठम्) अतिशय वृद्धियुक्त (रत्नम्) सुन्दर धन को (अकृत) करे वह (आत्) (इत्) अनन्तर ही (द्यावापृथिवी) प्रकाश और अन्तरिक्ष को (परि) सब प्रकार (अपश्यत्) देखे ॥८॥
Connotation: - वे ही शुद्ध मनुष्य हैं, जो कि उत्तम बुद्धि को प्राप्त होकर अन्य मनुष्यों को विद्या और विनयों से सन्तुष्ट करके लक्ष्मी आदि की उन्नति सिद्ध करें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ के शुद्धा जना इत्याह।

Anvay:

हे मनुष्या यस्त्रिभिः पवित्रैर्हृदा अर्कमपुपोद्धि ज्योतिर्मतिमनु प्रजानन्स्वधाभिर्वर्षिष्ठं रत्नमकृत स आदिद् द्यावापृथिवी पर्य्यपश्यत् तमेव यूयं सेवध्वम् ॥८॥

Word-Meaning: - (त्रिभिः) शरीरवाङ्यनोभिः (पवित्रैः) (अपुपोत्) पवित्रं कुर्य्यात् (हि) (अर्कम्) सुसंस्कृतमन्नम्। अर्क इत्यन्नना०। निघं० २। ७। (हृदा) हृदयेन (मतिम्) प्रज्ञाम् (ज्योतिः) प्रकाशम् (अनु) (प्रजानन्) प्रकर्षेण बुद्ध्यमानः (वर्षिष्ठम्) अतिशयेन वृद्धम् (रत्नम्) रमणीयं धनम् (अकृत) कुर्य्यात् (स्वधाभिः) अन्नादिभिः (आत्) (इत्) एव (द्यावापृथिवी) प्रकाशान्तरिक्षे (परि) सर्वतः (अपश्यत्) पश्येत् ॥८॥
Connotation: - त एव शुद्धा मनुष्या ये पवित्रां प्रज्ञां प्राप्यान्यान् मनुष्यान् विद्याविनयाभ्यां सन्तोष्य श्रियाद्युन्नतिं संसाध्नुयुः ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - तीच माणसे शुद्ध असतात. जी उत्तम बुद्धी प्राप्त करून इतर माणसांना विद्या व विनय यांनी संतुष्ट करून लक्ष्मीची वाढ करतात. ॥ ८ ॥