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मा नो॑ अ॒ग्नेऽम॑तये॒ मावीर॑तायै रीरधः। मागोता॑यै सहसस्पुत्र॒ मा नि॒देऽप॒ द्वेषां॒स्या कृ॑धि॥

English Transliteration

mā no agne mataye māvīratāyai rīradhaḥ | māgotāyai sahasas putra mā nide pa dveṣāṁsy ā kṛdhi ||

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Pad Path

मा। नः॒। अ॒ग्ने॒। अम॑तये। मा। अ॒वीर॑तायै। री॒र॒धः॒। मा। अ॒गोता॑यै। स॒ह॒सः॒। पु॒त्र॒। मा। नि॒दे। अप॑। द्वेषां॑सि। आ। कृ॒धि॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:16» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:16» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (सहसः) बल के (पुत्र) पालक (अग्ने) विद्वन् पुरुष ! आप (नः) हम लोगों की (अमतये) विपरीत बुद्धि के लिये (मा) नहीं (रीरधः) वश में करो तथा (अवीरतायै) कायरता के लिये (मा) नहीं वशीभूत करो (अगोतायै) इन्द्रियविकारता के लिये (मा) नहीं वशीभूत करो (निदे) निन्दक पुरुष के लिये (द्वेषांसि) द्वेष भावों को (मा) नहीं (अप) अलग करने में (आ) (कृधि) सब प्रकार कीजिये ॥५॥
Connotation: - ज्ञान सुख की इच्छा करनेवाले पुरुषों को चाहिये कि विद्वानों के समीप प्राप्त होकर बुद्धि वीरता जितेन्द्रियता विद्या उत्तम शिक्षा धर्म और ब्रह्मज्ञान की प्रार्थना करें तथा निन्दा आदि दोष और निन्दक पुरुषों का सङ्ग त्याग के सभ्यता ग्रहण करें ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे सहसस्पुत्राऽग्ने ! त्वं नोऽमतये मा रीरधोऽवीरतायै मा रीरधोऽगोतायै मा रीरधो निदे द्वेषांसि माऽपाकृधि ॥५॥

Word-Meaning: - (मा) निषेधे (नः) अस्माकम् (अग्ने) विद्वन् (अमतये) विरुद्धप्रज्ञायै (मा) (अवीरतायै) कातरतायै (रीरधः) रध्याः हिंस्याः (मा) (अगोतायै) इन्द्रियविकलतायै (सहसः) बलस्य (पुत्र) पालक (मा) (निदे) निन्दकाय (अप) दूरीकरणे (द्वेषांसि) (आ) (कृधि) समन्तात् कुर्याः ॥५॥
Connotation: - जिज्ञासुभिर्विदुषः प्राप्य प्रज्ञा वीरता जितेन्द्रियता विद्या सुशिक्षा धर्मो ब्रह्मज्ञानं च याचनीयम्। निन्दादिदोषान् निन्दकसङ्गं च विहाय सभ्यता सङ्ग्राह्या ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जिज्ञासूंनी विद्वानांजवळ जाऊन बुद्धी, वीरता, जितेन्द्रियता, विद्या, उत्तम शिक्षण, धर्म व ब्रह्मज्ञानाची प्रार्थना करावी. निंदा इत्यादी दोष व निंदक पुरुषांचा संग त्यागून सभ्यता ग्रहण करावी. ॥ ५ ॥