अ॒यम॒ग्निः सु॒वीर्य॒स्येशे॑ म॒हः सौभ॑गस्य। रा॒य ई॑शे स्वप॒त्यस्य॒ गोम॑त॒ ईशे॑ वृत्र॒हथा॑नाम्॥
ayam agniḥ suvīryasyeśe mahaḥ saubhagasya | rāya īśe svapatyasya gomata īśe vṛtrahathānām ||
अ॒यम्। अ॒ग्निः। सु॒ऽवीर्य॑स्य। ईशे॑। म॒हः। सौभ॑गस्य। रा॒यः। ई॒शे॒। सु॒ऽअ॒प॒त्यस्य॑। गोऽम॑तः। ईशे॑। वृ॒त्र॒ऽहथा॑नाम्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब छः ऋचावाले सोलहवें सूक्त का आरम्भ है। इसके प्रथम मन्त्र में अग्नि के गुणों को कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथाऽग्निगुणानाह।
यथा वृत्रहथानां मध्येऽयमग्निर्महः सुवीर्यस्येशे सौभगस्य राय ईशे गोमतः स्वपत्यस्येशे तथाऽहमेतेषामेनस ईशे ॥१॥
MATA SAVITA JOSHI
या सूक्तात अग्नी व विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणावी.