न यत्परो॒ नान्त॑र आद॒धर्ष॑द्वृषण्वसू। दुः॒शंसो॒ मर्त्यो॑ रि॒पुः॥
na yat paro nāntara ādadharṣad vṛṣaṇvasū | duḥśaṁso martyo ripuḥ ||
न। यत्। परः॑। न। अन्त॑रः। आ॒ऽद॒धर्ष॑त्। वृ॒ष॒ण्व॒सू॒ इति॑ वृषण्ऽवसू। दुः॒ऽशंसः॑। मर्त्यः॑। रि॒पुः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे मनुष्याः परो दुःशंसो मर्त्यो रिपुर्यद्यौ वृषण्वसू नादधर्षदन्तरो दुःशंसो मर्त्यो रिपुर्नादधर्षत्तौ कार्येषु नियुङ्ग्ध्वम् ॥८॥
MATA SAVITA JOSHI
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