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सोमा॑पूषणा॒ जन॑ना रयी॒णां जन॑ना दि॒वो जन॑ना पृथि॒व्याः। जा॒तौ विश्व॑स्य॒ भुव॑नस्य गो॒पौ दे॒वा अ॑कृण्वन्न॒मृत॑स्य॒ नाभि॑म्॥

English Transliteration

somāpūṣaṇā jananā rayīṇāṁ jananā divo jananā pṛthivyāḥ | jātau viśvasya bhuvanasya gopau devā akṛṇvann amṛtasya nābhim ||

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Pad Path

सोमा॑पूषणा। जन॑ना। र॒यी॒णाम्। जन॑ना। दि॒वः। जन॑ना। पृ॒थि॒व्याः। जा॒तौ। विश्व॑स्य। भुव॑नस्य। गो॒पौ। दे॒वाः। अ॒कृ॒ण्व॒न्। अ॒मृत॑स्य। नाभि॑म्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:40» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब चालीसवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में पवन के गुणों का उपदेश कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (देवाः) विद्वान् जन जिन (रयीणाम्) धनों को (जनना) सुखपूर्वक उत्पन्न करनेवाले वा (दिवः) प्रकाश के (जनना) उत्पन्न करनेवाले (पृथिव्याः) पृथिवी के (जनना) उत्पन्न करनेवाले (जातौ) उत्पन्न हुए (विश्वस्य) समस्त (भुवनस्य) संसार की (गोपौ) रक्षा करनेवाले (सोमापूषणा) प्राण और अपान (अमृतस्य) नाशरहित पदार्थ के (नाभिम्) मध्यभाग को (अकृण्वन्) प्रकट करें उनको विशेषता से जानो ॥१॥
Connotation: - मनुष्यों को प्रकाश पृथिवी और धनों के निमित्त होकर सबकी रक्षा करनेवाले परमात्मा का विज्ञान करानेवाले प्राण और अपान वर्त्तमान हैं, यह जानना चाहिये ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ वायुगुणनाह।

Anvay:

हे मनुष्या देवा यौ रयीणां जनना दिवो जनना पृथिव्या जनना जातौ विश्वस्य भुवनस्य गोपौ सोमापूषणाऽमृतस्य नाभिमकृण्वन् तौ विजानीत ॥१॥

Word-Meaning: - (सोमापूषणा) प्राणाऽपानौ (जनना) सुखजनकौ (रयीणाम्) धनानाम् (जनना) उत्पादकौ (दिवः) प्रकाशस्य (जनना) (पृथिव्याः) (जातौ) उत्पन्नौ (विश्वस्य) सर्वस्य (भुवनस्य) संसारस्य (गोपौ) रक्षकौ (देवाः) विद्वांसः (अकृण्वन्) कुर्य्युः (अमृतस्य) नाशरहितस्य (नाभिम्) मध्यम् ॥१॥
Connotation: - मनुष्यैः प्रकाशपृथिवीधनानां निमित्ते भूत्वा सर्वस्य रक्षकौ परमात्मनो ज्ञापकौ प्राणापानौ वर्त्तेत इति वेद्यम् ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - प्राण व अपान प्रकाश, पृथ्वी व धनाचे निमित्त असून सर्वांचा रक्षक असलेल्या परमेश्वराचे ज्ञापक असतात हे माणसांनी जाणले पाहिजे. ॥ १ ॥