Go To Mantra

वाते॑वाजु॒र्या न॒द्ये॑व री॒तिर॒क्षीइ॑व॒ चक्षु॒षा या॑तम॒र्वाक्। हस्ता॑विव त॒न्वे॒३॒॑ शंभ॑विष्ठा॒ पादे॑व नो नयतं॒ वस्यो॒ अच्छ॑॥

English Transliteration

vātevājuryā nadyeva rītir akṣī iva cakṣuṣā yātam arvāk | hastāv iva tanve śambhaviṣṭhā pādeva no nayataṁ vasyo accha ||

Mantra Audio
Pad Path

वाता॑ऽइव। अ॒जु॒र्या। न॒द्या॑ऽइव। री॒तिः। अ॒क्षी इ॒वेत्य॒क्षीऽइ॑व। चक्षु॑षा। आ। या॒त॒म्। अ॒र्वाक्। हस्तौ॑ऽइव। त॒न्वे॑। शम्ऽभ॑विष्ठा। पादा॑ऽइव। नः॒। न॒य॒त॒म्। वस्यः॑। अच्छ॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:39» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:4» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! जो (वातेव) पवन के समान (अजुर्या) अजीर्ण अर्थात् पुष्ट (नद्येव) नदी में उत्पन्न हुए जल के समान (रीतिः) मिले हुए शीघ्र जानेवाले वा (अक्षी इव) नेत्रों के समान (चक्षुषा) दिखाने की शक्तियुक्त (अर्वाक्) नीचे (आ,यातम्) सब ओर से प्राप्त होते हैं (हस्ताविव) हाथों के समान (तन्वे) शरीर के लिये (शम्भविष्ठाः) अतीव सुख की भावना करानेवाले (पादेव) पैरों के समान (नः) हम लोगों को (वस्यः) अति उत्तम धन (अच्छ) अच्छे प्रकार (नयतम्) प्राप्त करते हैं उन जल और अग्नि को हम लोगों को बतलाओ ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जैसे शरीर के अङ्ग अपने-अपने काम में प्रवर्त्तमान शरीर की रक्षा करते हैं, वैसे वायु आदि पदार्थ सबकी रक्षा करते हैं, यह जानना चाहिये ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे विद्वांसौ यौ वातेवाजुर्या नद्येवरीतिर्गन्तारावक्षी इव चक्षुषाऽर्वागायातं हस्ताविव तन्वे शम्भविष्ठा पादेव नो वस्योऽच्छ नयतं तौ जलाग्नी अस्मान् बोधय ॥५॥

Word-Meaning: - (वातेव) वायुवत् (अजुर्या) अजीर्णौ (नद्येव) नद्यां भवं जलं नद्यं तद्वत् सद्यो गन्तारौ (रीतिः) श्लेषणम् (अक्षी इव) यथाऽक्षिणी (चक्षुषा) दर्शनशक्तियुक्तौ (आ) (यातम्) समन्तात्प्राप्नुतः (अर्वाक्) अधः (हस्ताविव) (तन्वे) शरीराय (शम्भविष्ठा) अतिशयेन सुखं भावुकौ (पादेव) यथा पादौ (नः) अस्मान् (नयतम्) नयतः (वस्यः) अत्युत्तमं धनम् (अच्छ) सम्यक् ॥५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा शरीराऽवयवा स्व-स्वकर्मणि प्रवर्त्तमानाः शरीरं रक्षन्ति तथा वाय्वादयः पदार्थाः सर्वान् रक्षन्तीति वेद्यम् ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे शरीरातील अवयव आपापले कर्म करून शरीराचे रक्षण करतात तसे वायू इत्यादी पदार्थ सर्वांचे रक्षण करतात, हे जाणले पाहिजे. ॥ ५ ॥