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ग॒णानां॑ त्वा ग॒णप॑तिं हवामहे क॒विं क॑वी॒नामु॑प॒मश्र॑वस्तमम्। ज्ये॒ष्ठ॒राजं॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणस्पत॒ आ नः॑ शृ॒ण्वन्नू॒तिभिः॑ सीद॒ साद॑नम्॥

English Transliteration

gaṇānāṁ tvā gaṇapatiṁ havāmahe kaviṁ kavīnām upamaśravastamam | jyeṣṭharājam brahmaṇām brahmaṇas pata ā naḥ śṛṇvann ūtibhiḥ sīda sādanam ||

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Pad Path

ग॒णाना॑म्। त्वा॒। ग॒णऽप॑तिम्। ह॒वा॒म॒हे॒। क॒विम्। क॒वी॒नाम्। उ॒प॒मश्र॑वःऽतमम्। ज्ये॒ष्ठ॒ऽराज॑म्। ब्रह्म॑णाम्। ब्र॒ह्म॒णः॒। प॒ते॒। आ। नः॒। शृ॒ण्वन्। ऊ॒तिऽभिः॑। सी॒द॒। साद॑नम्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:23» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:29» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब उन्नीस मन्त्रवाले तेईसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में परमेश्वर का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - हे (ब्रह्मणाम्) बड़े-बड़े धनों में (ब्रह्मणस्पते) धन के स्वामी हम लोग (गणानाम्) गणनीय मुख्य पदार्थों में (गणपतिम्) मुख्य पदार्थों के स्वामी (कवीनाम्) उत्तमबुद्धिवालों में (कविम्) सर्वज्ञ और (उपमश्रवस्तमम्) उपमा जिससे दी जाती ऐसे अत्यन्त श्रवणरूप (ज्येष्ठराजम्) ज्येष्ठ अर्थात् अत्यन्त प्रशंसित पदार्थों में प्रकाशमान (त्वा) आप परमेश्वर को (आ,हवामहे) अच्छे प्रकार स्वीकार करते हैं आप (ऊतिभिः) रक्षाओं से (शृण्वन्) सुनते हुए (नः) हम लोगों के (सादनम्) उस स्थान को कि जिसमें स्थिर होते हैं (सीद) स्थिर हूजिये ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे हम लोग सबके अधिपति सर्वज्ञ सर्वराज अन्तर्यामी परमेश्वर की उपासना करते हैं, वैसे तुम भी उपासना करो ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेश्वरविषयमाह।

Anvay:

हे ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पते वयं गणानां गणपतिं कवीनां कविमुपमश्रवस्तमं ज्येष्ठराजं त्वा परमेश्वरमाहवामहे त्वमूतिभिः शृण्वन्नः सादनं सीद ॥१॥

Word-Meaning: - (गणानाम्) गणनीयानां मुख्यानाम् (त्वा) त्वाम् (गणपतिम्) मुख्यानां स्वामिनम् (हवामहे) स्वीकुर्महे (कविम्) सर्वज्ञम् (कवीनाम्) विपश्चिताम् (उपमश्रवस्तमम्) उपमीयते येन तच्छ्रवस्तदतिशयितम् (ज्येष्ठराजम्) यो ज्येष्ठेषु राजते तम् (ब्रह्मणाम्) महतां धनानाम् (ब्रह्मणः) धनस्य (पते) स्वामिन् (आ) (नः) अस्माकम् (शृण्वन्) (ऊतिभिः) रक्षाभिः (सीद) तिष्ठ (सादनम्) सीदन्ति यस्मिँस्तत् ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्या यथा वयं सर्वेषामधिपतिं सर्वज्ञं सर्वराजमन्तर्यामिनं परमेश्वरमुपास्महे तथा यूयमप्युपाध्वम् ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात ईश्वराच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो! जसे आम्ही सर्वांचा अधिपती, सर्वज्ञ, सर्वांचा राजा, अन्तर्यामी परमेश्वराची उपासना करतो तशी तुम्हीही करा. ॥ १ ॥