यो भोज॑नं च॒ दय॑से च॒ वर्ध॑नमा॒र्द्रादा शुष्कं॒ मधु॑मद्दु॒दोहि॑थ। स शे॑व॒धिं नि द॑धिषे वि॒वस्व॑ति॒ विश्व॒स्यैक॑ ईशिषे॒ सास्यु॒क्थ्यः॑॥
yo bhojanaṁ ca dayase ca vardhanam ārdrād ā śuṣkam madhumad dudohitha | sa śevadhiṁ ni dadhiṣe vivasvati viśvasyaika īśiṣe sāsy ukthyaḥ ||
यः। भोज॑नम्। च॒। दय॑से। च॒। वर्ध॑नम्। आ॒र्द्रात्। आ। शुष्क॑म्। मधु॑ऽमत्। दु॒दोहि॑थ। सः। शे॒व॒धिम्। नि। द॒धि॒षे॒। वि॒वस्व॑ति। विश्व॑स्य। एकः॑। ई॒शि॒षे॒। सः। अ॒सि॒। उ॒क्थ्यः॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब ईश्वर के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेश्वरविषयमाह।
हे जगदीश्वर य एकस्त्वं विवस्वति विश्वस्य भोजनं च वर्द्धनं च दयसे ईशिषे शुष्कमार्द्रान्मधुमद्दुदोहिथ स त्वं शेवधिं निदधिषे अतः स त्वमुक्थ्योऽसि ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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