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यो र॒ध्रस्य॑ चोदि॒ता यः कृ॒शस्य॒ यो ब्र॒ह्मणो॒ नाध॑मानस्य की॒रेः। युक्तग्रा॑व्णो॒ यो॑ऽवि॒ता सु॑शि॒प्रः सु॒तसो॑मस्य॒ स ज॑नास॒ इन्द्रः॑॥

English Transliteration

yo radhrasya coditā yaḥ kṛśasya yo brahmaṇo nādhamānasya kīreḥ | yuktagrāvṇo yo vitā suśipraḥ sutasomasya sa janāsa indraḥ ||

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Pad Path

यः। र॒ध्रस्य॑। चो॒दि॒ता। यः। कृ॒शस्य॑। यः। ब्र॒ह्मणः॑। नाध॑मानस्य। की॒रेः। यु॒क्तऽग्रा॑व्णः। यः। अ॒वि॒ता। सु॒ऽशि॒प्रः। सु॒तऽसो॑मस्य। सः। ज॒ना॒सः॒। इन्द्रः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:12» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:8» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (जनासः) मनुष्यो ! (यः) जो (रध्रस्य) हिंसा करनेवाले का (यः) को (कृशस्य) दुर्बल का (यः) जो (नाधमानस्य) समस्त ऐश्वर्य प्राप्त करानेवाले का (यः) जो (ब्रह्मणः) वेद का (युक्तग्राव्णः) और जिसमें मेघ वा पत्थरयुक्त हैं उस पदार्थ का (कीरे:) तथा सकल विद्याओं की स्तुति प्रशंसा करनेहारे का (चोदिता) प्रेरणा करनेवाला वा (यः) जो (सुशिप्रः) ऐसा है कि जिसमें सुन्दर सेवन होते और (सुतसोमस्य) जिसने उत्पन्न किये सोमादि अच्छे पदार्थ उसकी (अविता) रक्षा करनेवाला है (सः) वह (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् परमेश्वर है ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! उसी परमेश्वर की उपासना तुम करो कि जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति, प्रलयकर्त्ता तथा सकल विद्यायुक्त वेद का उत्तम ज्ञान करानेवाला है ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरीश्वरविषयमाह।

Anvay:

हे जनासो यो रध्रस्य यो कृशस्य यो नाधमानस्य यो ब्रह्मणो युक्तग्राव्णो किरेश्चोदिता यः सुशिप्रः सुतसोमस्याऽविता स इन्द्रः परमेश्वरोऽस्ति ॥६॥

Word-Meaning: - (यः) (रध्रस्य) हिंसकस्य (चोदिता) प्रेरकः (यः) (कृशस्य) दुर्बलस्य (यः) (ब्रह्मणः) (नाधमानस्य) सकलैश्वर्यप्रापकस्य (कीरे:) सकलविद्यास्तोतुः (युक्तग्राव्णः) युक्ता ग्रावाणो मेघाः पाषाणा वा यस्मिँस्तस्य (यः) (अविता) रक्षक: (सुशिप्रः) शोभनानि शिप्राणि सेवनानि यस्मिन् सः। अत्र शेवृ धातोः पृषोदरादिनेष्टसिद्धिः। (सुतसोमस्य) सुता उत्पादिताः सोमाः पदार्था येन तस्य (सः) (जनासः) (इन्द्रः) ॥६॥
Connotation: - हे मनुष्यास्तमेव जगदुत्पत्तिस्थितिप्रलयकर्त्तारं सकलविद्यायुक्तस्य वेदस्य प्रज्ञापकं परमेश्वरं यूयमुपाध्वम् ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो जगाची उत्पत्ती, स्थिती, प्रलय करतो व संपूर्ण विद्यायुक्त वेदाचे उत्तम ज्ञान देतो त्या परमेश्वराची तुम्ही उपासना करा. ॥ ६ ॥