सने॑म॒ ये त॑ ऊ॒तिभि॒स्तर॑न्तो॒ विश्वाः॒ स्पृध॒ आर्ये॑ण॒ दस्यू॑न्। अ॒स्मभ्यं॒ तत्त्वा॒ष्ट्रं वि॒श्वरू॑प॒मर॑न्धयः सा॒ख्यस्य॑ त्रि॒ताय॑॥
sanema ye ta ūtibhis taranto viśvāḥ spṛdha āryeṇa dasyūn | asmabhyaṁ tat tvāṣṭraṁ viśvarūpam arandhayaḥ sākhyasya tritāya ||
सने॑म। ये। ते॒। ऊ॒तिऽभिः॑। तर॑न्तः। विश्वाः॑। स्पृधः॑। आर्ये॑ण। दस्यू॑न्। अ॒स्मभ्य॑म्। तत्। त्वा॒ष्ट्रम्। वि॒श्वऽरू॑पम्। अर॑न्धयः। सा॒ख्यस्य॑। त्रि॒ताय॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे सेनेश ये ते तवोतिभिर्विश्वास्पृधस्तरन्तो वयं त्रितायाऽऽर्य्येण सह दस्यून्विजयेमहि। यत्साख्यस्य विश्वरूपं त्वाष्ट्रं सनेम तत्तत्त्वमस्मभ्यं सम्पादय दस्यूनरन्धयः ॥१९॥
MATA SAVITA JOSHI
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