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ब्रह्म॒ गामश्वं॑ ज॒नय॑न्त॒ ओष॑धी॒र्वन॒स्पती॑न्पृथि॒वीं पर्व॑ताँ अ॒पः । सूर्यं॑ दि॒वि रो॒हय॑न्तः सु॒दान॑व॒ आर्या॑ व्र॒ता वि॑सृ॒जन्तो॒ अधि॒ क्षमि॑ ॥

English Transliteration

brahma gām aśvaṁ janayanta oṣadhīr vanaspatīn pṛthivīm parvatām̐ apaḥ | sūryaṁ divi rohayantaḥ sudānava āryā vratā visṛjanto adhi kṣami ||

Pad Path

ब्रह्म॑ । गाम् । अश्व॑म् । ज॒नय॑न्तः । ओष॑धीः । वन॒स्पती॑न् । पृ॒थि॒वीम् । पर्व॑तान् । अ॒पः । सूर्य॑ । दि॒वि । रो॒हय॑न्तः । सु॒ऽदान॑वः । आर्या॑ । व्र॒ता । वि॒ऽसृ॒जन्तः॑ । अधि॑ । क्षमि॑ ॥ १०.६५.११

Rigveda » Mandal:10» Sukta:65» Mantra:11 | Ashtak:8» Adhyay:2» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:10» Anuvak:5» Mantra:11


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सुदानवः) कल्याण देनेवाली सूर्यकिरणें (ब्रह्म) अन्न को (गाम्-अश्वम्) गौ और अश्व को (ओषधीः-वनस्पतीन्) हरी ओषधियों, फलवाले वृक्षों को (पृथिवीं पर्वतान्-अपः) परिष्कृत भूमि, पर्वतों और जलों को (जनयन्तः) उत्तमरूप में सम्पन्न करती हुईं (दिवि सूर्यं रोहयन्तः) तथा द्युलोक में सूर्य को ऊपर प्रकाशित करती हुईं (अधि क्षमि) पृथिवी पर (आर्या व्रता विसृजन्तः) श्रेष्ठ कर्मों को प्रकाशित करती हुईं दृष्टि पथ में आती हैं, वे सेवन करने योग्य हैं ॥११॥
Connotation: - सूर्य की किरणें कल्याण का प्रसार करनेवाली हैं। उनके द्वारा  पृथिवी में पौष्टिक शक्ति तथा अन्न की उत्पत्ति, गौ अश्व आदि प्राणियों में उपयोगी बल और कार्यशक्ति आती है। साधारण ओषधियाँ और फलवाले वृक्ष भी इनसे बल पाते हैं। सूर्य को आकाश में चमकाती हैं। रोगनिवृत्ति आदि श्रेष्ठ कर्मों में इनका प्रभावशाली उपयोग होता है ॥११॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सुदानवः) कल्याणदानाः “सुदानवः कल्याणदानाः” [निरु० ६।२३] रश्मयः (ब्रह्म) अन्नम् “ब्रह्म अन्ननाम” [निघ० २।७] (गाम्-अश्वम्) गोपशुं तथाश्वं (ओषधीः-वनस्पतीन्) हरिता ओषधीः फलवृक्षान् (पृथिवीं पर्वतान्-अपः) परिष्कृतां भूमिं पर्वतान् जलं च (जनयन्तः) प्रादुर्भावयन्तः (दिवि सूर्यं रोहयन्तः) द्युलोके-आकाशे सूर्यमुद्गमयन्तः (अधिक्षमि) पृथिव्याम् “क्षमा पृथिवीनाम” [निघ० १।१] (आर्या व्रता विसृजन्तः) श्रेष्ठानि कर्माणि “व्रतं कर्मनाम” [निघ० २।१] प्रकाशयन्तः खलु दृष्टिपथमागच्छन्ति ते सेवनीयाः ॥११॥