Devata: विश्वेदेवा:
Rishi: बन्धुः सुबन्धुः श्रुतबन्धुर्विप्रबन्धुश्च गौपयाना लौपयाना वा
Chhanda: निचृद्गायत्री
Swara: षड्जः
आ त॑ एतु॒ मन॒: पुन॒: क्रत्वे॒ दक्षा॑य जी॒वसे॑ । ज्योक्च॒ सूर्यं॑ दृ॒शे ॥
English Transliteration
ā ta etu manaḥ punaḥ kratve dakṣāya jīvase | jyok ca sūryaṁ dṛśe ||
Pad Path
आ । ते॒ । ए॒तु॒ । मनः॑ । पुन॒रिति॑ । क्रत्वे॑ । दक्षा॑य । जी॒वसे॑ । ज्योक् । च॒ । सूर्य॑म् । दृ॒शे ॥ १०.५७.४
Rigveda » Mandal:10» Sukta:57» Mantra:4
| Ashtak:8» Adhyay:1» Varga:19» Mantra:4
| Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:4
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (ते) हे पुत्र ! तेरा मन (पुनः-आ-एतु) पुनः पुनः उत्कृष्टत्व को प्राप्त हो (क्रत्वे दक्षाय जीवसे) कर्म करने, बल पाने और जीवन धारण करने के लिए (ज्योक् सूर्यं दृशे च) और देर तक ज्ञानप्रकाशक परमात्मा को देखने अर्थात् अनुभव करने के लिए ॥४॥
Connotation: - गृहस्थ को चाहिए कि अपने पुत्र के मानसिक स्तर को ऊँचा बनाये तथा उसके अन्दर कर्मप्रवृत्ति, शारीरिक शक्ति और जीवनशक्ति दिनों-दिन बढ़ती जाये, इस बात का ध्यान रखें तथा परमात्मा के प्रति आस्तिक भावना और अनुभूति भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाये ॥४॥
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (ते) हे पुत्र ! तव मनः (पुनः-आ-एतु) पुनः पुनः उत्कृष्टत्वं प्राप्नोतु (क्रत्वे दक्षाय जीवसे) कर्मकरणाय बलप्रापणाय जीवनधारण-कारणाय (ज्योक् सूर्यं दृशे च) चिरं ज्ञानप्रकाशकं परमात्मानं द्रष्टुं च ॥४॥