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न दे॒वाना॒मति॑ व्र॒तं श॒तात्मा॑ च॒न जी॑वति । तथा॑ यु॒जा वि वा॑वृते ॥

English Transliteration

na devānām ati vrataṁ śatātmā cana jīvati | tathā yujā vi vāvṛte ||

Pad Path

न । दे॒वाना॑म् । अति॑ । व्र॒तम् । श॒तऽआ॑त्मा । च॒न । जी॒व॒ति॒ । तथा॑ । यु॒जा । वि । व॒वृ॒ते॒ ॥ १०.३३.९

Rigveda » Mandal:10» Sukta:33» Mantra:9 | Ashtak:7» Adhyay:8» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:3» Mantra:9


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (देवानां व्रतम्-अति न शतात्मा चन जीवति) विद्वानों के उपदिष्ट आचरण को तथा दिव्य पदार्थों के नियम को लाँघकर-तोड़कर सौ वर्ष आयुवाला कोई भी जी नहीं सकता (तथा युजा विवावृते) वैसे ही समागमयोग्य परमात्मा से वियुक्त हो जाता है ॥९॥
Connotation: - विद्वानों द्वारा उपदिष्ट आचरण तथा अग्नि सूर्य आदि पदार्थों के नियमों को तोड़कर सौ वर्ष की आयु को कोई प्राप्त नहीं कर सकता और परमात्मा के समागम से भी उसे अलग होना पड़ता है ॥९॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (देवानां व्रतम्-अति न शतात्मा चन जीवति) विदुषां दिव्यपदार्थानां कर्मनियमं वाऽतिक्रम्य नहि शतसंवत्सरः शतसंवत्सरायुष्कः “संवत्सर आत्मा” [तै० सं०७।५।२५।१] कश्चन जीवति (तथा युजा विवावृते) तथैव योक्तव्येन परमात्मना च वियुज्यते वियुक्तो भवति ॥९॥