Devata: अग्निः
Rishi: विमद ऐन्द्रः प्राजापत्यो वा वसुकृद्वा वासुक्रः
Chhanda: आसुरीत्रिष्टुप्
Swara: धैवतः
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BRAHMAMUNI
इस सूक्त में राजा, गोपालक, इन्द्रियस्वामी आत्मा द्वारा प्रजाओं, गौओं, इन्द्रियों के नियन्त्रण और भलीभाँति रक्षणादि व्यवहार उपदिष्ट हैं।
Word-Meaning: - (नः मनः) हे अग्रणायक परमात्मन् वा राजन् ! हमारे अन्तःकरण को (भद्रम्-अपि-वातय) कल्याणमार्ग पर प्रेरित कर-चला ॥१॥
Connotation: - परमात्मा या राजा हमारे अन्तःकरण को कल्याणकारी मार्ग पर चलाये, उपासक तथा प्रजाएँ इस बात की अभिलाषा करें ॥१॥
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BRAHMAMUNI
अत्र सूक्ते राज्ञा, गोपतिना, इन्द्रियस्वामिना प्रजानां गवामिन्द्रियाणां नियन्त्रणं यथावद् रक्षणादिव्यवहाराश्चोपदिश्यन्ते।
Word-Meaning: - (नः मनः) हे अग्रणायक परमात्मन् ! यद्वा राजन् ! अस्माकं मनोऽन्तःकरणम् (भद्रम्-अपि वातय) कल्याणं कल्याणमार्गं प्रति प्रेरय चालय “वात गतिसुखसेवनेषु” [चुरादिः] ॥१॥