यद॒दो वा॑त ते गृ॒हे॒३॒॑ऽमृत॑स्य नि॒धिर्हि॒तः । ततो॑ नो देहि जी॒वसे॑ ॥
English Transliteration
yad ado vāta te gṛhe mṛtasya nidhir hitaḥ | tato no dehi jīvase ||
Pad Path
यत् । अ॒दः । वा॒त॒ । ते॒ । गृ॒हे । अ॒मृत॑स्य । नि॒धिः । हि॒तः । ततः॑ । नः॒ । दे॒हि॒ । जी॒वसे॑ ॥ १०.१८६.३
Rigveda » Mandal:10» Sukta:186» Mantra:3
| Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:44» Mantra:3
| Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:3
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (वात) हे वायो ! (ते गृहे) तेरे ग्रहण अपने अन्दर प्रतिष्ठा करने पर (यत्) जो (अदः) वह (अमृतस्य निधिः) अमरण-जीवन की निधि कोष (हितः) निहित है (ततः) उसमें से (नः) हमारे (जीवसे) जीने को (देहि) धारण करा-दे, प्रदान कर ॥३॥
Connotation: - वायु के अन्दर जीवन देनेवाला बड़ा भारी कोष है, उस कोष का थोड़ा भी भाग ठीक से ढंग से अन्दर धारण किया जाय, तो स्वस्थ और दीर्घजीवन मिल सकता है ॥३॥
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (वात) हे वायो ! (ते गृहे) तव ग्रहणे प्रतिष्ठाने “गृहा वै प्रतिष्ठा” [श० १।१।१९] (यत्-अदः-अमृतस्य निधिः-हितः) यदसौ ‘लिङ्गव्यत्ययः’ अमृतस्य-अमरणस्य जीवनस्य निधिर्निक्षेपः कोषो निहितोऽस्ति (ततः-नः-जीवसे देहि) तस्मादस्माकं जीवनाय देहीत्यर्थः ॥३॥