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ए॒वाग्निर्मर्तै॑: स॒ह सू॒रिभि॒र्वसु॑: ष्टवे॒ सह॑सः सू॒नरो॒ नृभि॑: । मि॒त्रासो॒ न ये सुधि॑ता ऋता॒यवो॒ द्यावो॒ न द्यु॒म्नैर॒भि सन्ति॒ मानु॑षान् ॥

English Transliteration

evāgnir martaiḥ saha sūribhir vasuḥ ṣṭave sahasaḥ sūnaro nṛbhiḥ | mitrāso na ye sudhitā ṛtāyavo dyāvo na dyumnair abhi santi mānuṣān ||

Pad Path

ए॒व । अ॒ग्निः । मर्तैः॑ । स॒ह । सू॒रिऽभिः॑ । वसुः॑ । स्त॒वे॒ । सह॑सः । सू॒नरः॑ । नृऽभिः॑ । मि॒त्रासः॑ । न । ये । सुऽधि॑ताः । ऋ॒त॒ऽयवः॑ । द्यावः॑ । न । द्यु॒म्नैः । अ॒भि । स॒न्ति॒ । मानु॑षान् ॥ १०.११५.७

Rigveda » Mandal:10» Sukta:115» Mantra:7 | Ashtak:8» Adhyay:6» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:7


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (एव) ऐसे (सहसः) अध्यात्मबल का (सूनरः) प्रेरक (वसुः) बसानेवाला (अग्निः) अग्रणेता परमात्मा (सूरिभिः) स्तुति करनेवालों (नृभिः-मर्तैः) नेता मनुष्यों के द्वारा (स्तवे) स्तुत किया जाता है, स्तुति में लाया जाता है (ये) जो स्तुति करनेवाले (मित्रासः-न) परमात्मा के मित्र जैसे हैं, (सुधिताः) धैर्यवान् हैं (ऋतायवः) अध्यात्मयज्ञ को चाहनेवाले (द्यावः-न) रश्मियों की भाँति ज्ञान से द्योतमान (द्युम्नैः) निज यशों के द्वारा (मानुषान्) अन्य मनुष्यों को (अभि-सन्ति) अभिभूत करते हैं, प्रभावित करते हैं ॥७॥
Connotation: - अध्यात्मबल के प्रेरक बसानेवाले परमात्मा की अध्यात्मयज्ञ के चाहनेवाले स्तोता जन स्तुति करते हैं। वे परमात्मा के मित्र बन जाते हैं और अपने यशों से अन्य मनुष्यों को प्रभावित करते हैं ॥७॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (एव) एवम् (सहसः सूनरः-वसुः-अग्निः) अध्यात्मबलस्य प्रेरको वासयिताऽग्रणेता परमात्मा (सूरिभिः-नृभिः-मर्तैः स्तवे) स्तोतृभिर्नेतृभिर्मनुष्यैः स्तूयते (ये मित्रासः-न) ये स्तोतारः-तस्य परमात्मनो-सखाय इव (सुधिताः) सुष्ठु धृताः (ऋतायवः) अध्यात्मयज्ञं कामयमानाः (द्यावः-न) ज्ञानेन द्योतमाना रश्मय इव (द्युम्नैः-मानुषान्-अभि-सन्ति) निजयशोभिः “द्युम्नं द्योततेर्यशो वा अन्नं वा” [निरु० ५।५] अन्यान् मनुष्यानभि भवन्ति ॥७॥