Word-Meaning: - (भोजाः) दक्षिणादान से दूसरों का पालन करनेवाले (न मम्रुः) नहीं मरते हैं, जैसे धन से अन्य धनी जन चोरादि द्वारा मारे जाते हैं तथा अन्यों का पालन करनेवालों का नाम भी पश्चात् लोग स्मरण करते हैं (नि-अर्थं न-ईयुः) अर्थहीनता व दरिद्रता को नहीं प्राप्त होते, अवसर पर बहुत धन मिल जाता है (न रिष्यन्ति) न किन्हीं के द्वारा पीड़ित होते हैं किन्तु अदाता जन ही अनेक प्रकार से पीड़ित होते हैं (भोजाः) दूसरों को पालनेवाले (न व्यथन्ते) व्यथा को प्राप्त नहीं होते, व्यर्थ भोग से ही व्यथा को प्राप्त होते हैं (यत्-इत्) जो यह (विश्वं भुवनम्) सब जगत् व्यक्त है (स्वः-च) और विशिष्ट सुख (एतत्-सर्वम्) यह सब (दक्षिणा) दक्षिणा (एभ्यः) दक्षिणा देनेवालों के लिए (ददाति) देनी है, सदाचरणवाले होने से सब सिद्ध हो जाता है ॥८॥
Connotation: - दूसरों को पालनेवाले जन दक्षिणा आदि देकर के नहीं मरते हैं, जैसे अन्य धनी चोरादि द्वारा मारे जाते हैं। उनका नाम संसार में देर तक रहता है, वे दरिद्रता को प्राप्त नहीं होते, आवश्यकता के अनुसार उन्हें सब कुछ मिल जाता है। दक्षिणा दक्षिणा देनेवालों के लिए सब कुछ सांसारिक व पारलौकिक सुख दे देती है ॥८॥