एमे॑नं सृजता सु॒ते म॒न्दिमिन्द्रा॑य म॒न्दिने॑। चक्रिं॒ विश्वा॑नि॒ चक्र॑ये॥
em enaṁ sṛjatā sute mandim indrāya mandine | cakriṁ viśvāni cakraye ||
आ। ई॒म्। ए॒न॒म्। सृ॒ज॒त॒। सु॒ते। म॒न्दिम्। इन्द्रा॑य। म॒न्दिने॑। चक्रि॑म्। विश्वा॑नि। चक्र॑ये॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
शिल्पविद्या के उत्तम साधन जल और अग्नि का वर्णन अगले मन्त्र में किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ शिल्पविद्यानुषङ्गिणी अग्निजले उपदिश्येते।
हे विद्वांसः ! सुत उत्पन्नेऽस्मिन्पदार्थसमूहे जगति विश्वानि कार्य्याणि कर्त्तुं मन्दिन इन्द्राय जीवाय मन्दिं चक्रये चक्रिमासृजत॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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