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प्रैतु॒ ब्रह्म॑ण॒स्पतिः॒ प्र दे॒व्ये॑तु सू॒नृता॑ । अच्छा॑ वी॒रं नर्यं॑ प॒ङ्क्तिरा॑धसं दे॒वा य॒ज्ञं न॑यन्तु नः ॥

English Transliteration

praitu brahmaṇas patiḥ pra devy etu sūnṛtā | acchā vīraṁ naryam paṅktirādhasaṁ devā yajñaṁ nayantu naḥ ||

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Pad Path

प्र । ए॒तु॒ । ब्रह्म॑णः । पतिः॑ । प्र । दे॒वी । ए॒तु॒ । सू॒नृता॑ । अच्छ॑ । वी॒रम् । नर्य॑म् । प॒ङ्क्तिरा॑धसम् । दे॒वाः । य॒ज्ञम् । न॒य॒न्तु॒ । नः॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:40» Mantra:3 | Ashtak:1» Adhyay:3» Varga:20» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:8» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर ये लोग अन्योऽन्य कैसे वर्तें, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे विद्वान् ! (ब्रह्मणः) वेदों का (पतिः) प्रचार करनेवाले आप जिस (पंक्तिराधसम्) धर्मात्मा और वीर पुरुषों को सिद्धकारक (अच्छावीरम्) शुद्ध पूर्ण शरीर आत्मबलयुक्त वीरों की प्राप्ति के हेतु (यज्ञम्) पठन पाठन श्रवण आदि क्रियारूप यज्ञ को (प्रैतु) प्राप्त होते और हे विद्यायुक्त स्त्री ! (सूनृता) उस वेदवाणी की शिक्षा सहित (देवी) सब विद्या सुशीलता से प्रकाशमान होकर आप भी जिस यज्ञ को प्राप्त हो उस यज्ञ को (देवाः) विद्वान् लोग (नः) हम लोगों को (प्रणयंतु) प्राप्त करावें ॥३॥
Connotation: - सब मनुष्यों को ऐसी इच्छा करनी चाहिये कि जिससे विद्या की वृद्धि होती जाय ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

(प्र) प्रकृष्टार्थे (एतु) प्राप्नोतु (ब्रह्मणः) चतुर्वेदविदः (पतिः) पालयिता (प्र) प्रतीतार्थे (देवी) सर्वशास्त्र बोधेन देदीप्यमाना (एतु) प्राप्नोतु (सूनृता) प्रियसत्याचरणलक्षवाणीयुक्ता (अच्छ) शुद्धार्थे। अत्र निपातस्य च इति दीर्घः#। (वीरम्) पूर्णशरीरात्मबलप्रदम् (नर्यम्) नरेषु साधुं हितकारिणम् (पंक्तिराधसम्) यः पंक्तीर्धर्मात्मवीरमनुष्यसमूहान् राध्नोति यद्वा पंक्त्यर्थं राधोऽन्नं यस्य तम् (देवाः) विद्वांसः (यज्ञम्) पठनपाठनश्रवणोपदेशाख्यम् (नयंतु) प्रापयन्तु (नः) अस्मान् ॥३॥ #[अ० ६।३।१३६।]

Anvay:

पुनस्तैः #कथं वर्त्तितव्यमित्याह। #[मिथः। सं०]

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! ब्रह्मणः पतिर्भवान् यं पंक्तिराधसं नर्यमच्छा वीरं सुखप्रापकं यज्ञं प्रैतु हे विदुषि ! सूनृता देवी सती भवत्यप्येतं प्रैतु तं नो देवाः प्रणयन्तु ॥३॥
Connotation: - सर्वैर्मनुष्यैरिदं कर्त्तव्यमाकांक्षितव्यं च यतो विद्यावृद्धिः स्यादिति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - सर्व माणसांनी अशी इच्छा ठेवली पाहिजे की, ज्यामुळे विद्येची वृद्धी होत जावी. ॥ ३ ॥