नमो॑ म॒हद्भ्यो॒ नमो॑ अर्भ॒केभ्यो॒ नमो॒ युव॑भ्यो॒ नम॑ आशि॒नेभ्यः॑। यजा॑म दे॒वान्यदि॑ श॒क्नवा॑म॒ मा ज्याय॑सः॒ शंस॒मा वृ॑क्षि देवाः॥
namo mahadbhyo namo arbhakebhyo namo yuvabhyo nama āśinebhyaḥ | yajāma devān yadi śaknavāma mā jyāyasaḥ śaṁsam ā vṛkṣi devāḥ ||
नमः॑। म॒हत्ऽभ्यः॑। नमः॑। अ॒र्भ॒केभ्यः॑। नमः॑। युव॑भ्यः। नमः॑। आ॒शि॒नेभ्यः॑। यजा॑म। दे॒वान्। यदि॑। श॒क्नवा॑म। मा। ज्याय॑सः॒। शंस॑म्। आ। वृ॒क्षि॒। दे॒वाः॒॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब अगले मन्त्र में सब का सत्कार करना अवश्य है, इस बात का प्रकाश किया है॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ सर्वेषां सत्कारः कर्त्तव्य इत्युपदिश्यते॥
हे देवा विद्वांसो वयं महद्भ्योऽन्नं यजाम दद्यामैवमर्भकेभ्यो नमो युवभ्यो नम आशिनेभ्यश्च नमो ददन्तो वयं यदि शक्नवाम ज्यायसो देवानायजाम समन्ताद् विद्यादानं कुर्यामैवं प्रतिजनोऽहमेतेषां शंसम्मावृक्षि कदाचिन्मा वर्जयेयम्॥१३॥
MATA SAVITA JOSHI
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