क॒दा क्ष॑त्र॒श्रियं॒ नर॒मा वरु॑णं करामहे। मृ॒ळी॒कायो॑रु॒चक्ष॑सम्॥
kadā kṣatraśriyaṁ naram ā varuṇaṁ karāmahe | mṛḻīkāyorucakṣasam ||
क॒दा। क्ष॒त्र॒ऽश्रिय॑म्। नर॑म्। आ। वरु॑णम्। क॒रा॒म॒हे॒। मृ॒ळी॒काय॑। उ॒रु॒ऽचक्ष॑सम्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वह वरुण कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स वरुणः कीदृशोऽस्तीत्युपदिश्यते॥
वयं कदा मृळीकायोरुचक्षसं नरं वरुणं परमेश्वरं संसेव्य क्षत्रश्रियं करामहे॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A