इ॒मं मे॑ वरुण श्रुधी॒ हव॑म॒द्या च॑ मृळय। त्वाम॑व॒स्युरा च॑के॥
imam me varuṇa śrudhī havam adyā ca mṛḻaya | tvām avasyur ā cake ||
इ॒मम्। मे॒। व॒रु॒ण॒। श्रुधि॑। हव॑म्। अ॒द्य। च॒। मृ॒ळ॒य॒। त्वाम्। अ॒व॒स्युः। आ। च॒के॒॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते।
हे वरुण विद्वन् ! अद्यावस्युरहं त्वामाचके प्रशंसामि त्वं मे मम हवं श्रुधि शृणु, मां च मृळय॥१९॥
MATA SAVITA JOSHI
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