अ॒भि त्वा॑ देव सवित॒रीशा॑नं॒ वार्या॑णाम्। सदा॑वन्भा॒गमी॑महे॥
abhi tvā deva savitar īśānaṁ vāryāṇām | sadāvan bhāgam īmahe ||
अ॒भि। त्वा॒। दे॒व॒। स॒वि॒तः॒। ईशा॑नम्। वार्या॑णाम्। सदा॑। अ॒व॒न्। भा॒गम्। ई॒म॒हे॒॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वह जगदीश्वर कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते।
हे सवितरवन् देव जगदीश्वर ! वयं वार्य्याणामीशानं भागं त्वा त्वां सदाऽभीमहे॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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