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ये नाक॒स्याधि॑ रोच॒ने दि॒वि दे॒वास॒ आस॑ते। म॒रुद्भि॑रग्न॒ आ ग॑हि॥

English Transliteration

ye nākasyādhi rocane divi devāsa āsate | marudbhir agna ā gahi ||

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Pad Path

ये। नाक॑स्य। अधि॑। रो॒च॒ने। दि॒वि। दे॒वासः। आस॑ते। म॒रुत्ऽभिः॑। अ॒ग्ने॒। आ। ग॒हि॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:19» Mantra:6 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:37» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर भी उक्त पवन कैसे हैं, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-

Word-Meaning: - (ये) जो (देवासः) प्रकाशमान और अच्छे-अच्छे गुणोंवाले पृथिवी वा चन्द्र आदि लोक (नाकस्य) सुख की सिद्धि करनेवाले सूर्य्य लोक के (रोचने) रुचिकारक (दिवि) प्रकाश में (अध्यासते) उन के धारण और प्रकाश करनेवाले हैं, उन पवनों के साथ (अग्ने) यह अग्नि (आगहि) सुखों की प्राप्ति कराता है॥६॥
Connotation: - सब लोक परमेश्वर के प्रकाश से प्रकाशमान हैं, परन्तु उसके रचे हुए सूर्य्यलोक की दीप्ति अर्थात् प्रकाश से पृथिवी और चन्द्रलोक प्रकाशित होते हैं, उन अच्छे-अच्छे गुणवालों के साथ रहनेवाले अग्नि को सब कार्य्यों में संयुक्त करना चाहिये॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते कीदृशा इत्युपदिश्यते।

Anvay:

ये देवासो नाकस्य रोचने दिव्यध्यासते तद्धारकैः प्रकाशकैर्मरुद्भि सहाग्नेऽयमग्निरागहि सुखानि प्रापयति॥६॥

Word-Meaning: - (ये) पृथिव्यादयो लोकाः (नाकस्य) सुखहेतोः सूर्य्यलोकस्य (अधि) उपरिभागे (रोचने) रुचिनिमित्ते (दिवि) द्योतनात्मके सूर्य्यप्रकाशे (देवासः) दिव्यगुणाः पृथिवीचन्द्रादयः प्रकाशिताः (आसते) सन्ति (मरुद्भिः) दिव्यगुणैर्देवैः सह (अग्ने) अग्निः प्रसिद्धः (आ) समन्तात् (गहि) सुखानि गमयति॥६॥
Connotation: - सर्वे लोका ईश्वरस्यैव प्रकाशेन प्रकाशिताः सन्ति, परन्तु तद्रचितस्य सूर्य्यलोकस्य दीप्त्या पृथिवीचन्द्रादयो लोका दीप्यन्ते तैर्दिव्यगुणैः सह वर्त्तमानोऽयमग्निः सर्वकार्य्येषु योजनीय इति॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - सर्व गोल परमेश्वराच्या प्रकाशाने प्रकाशित होतात; परंतु त्याने निर्माण केलेली सूर्यलोकाची दीप्ती अर्थात प्रकाश किरणांमुळे पृथ्वी व चंद्रलोक प्रकाशित होतात असे दिव्य गुण असलेल्या अग्नीला सर्वांनी कार्यात संयुक्त करावे. ॥ ६ ॥