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इ॒मे सोमा॑स॒ इन्द॑वः सु॒तासो॒ अधि॑ ब॒र्हिषि॑। ताँ इ॑न्द्र॒ सह॑से पिब॥

English Transliteration

ime somāsa indavaḥ sutāso adhi barhiṣi | tām̐ indra sahase piba ||

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Pad Path

इ॒मे। सोमा॑सः। इन्द॑वः। सु॒तासः॑। अधि॑। ब॒र्हिषि॑। तान्। इ॒न्द्र॒। सह॑से। पि॒ब॒॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:16» Mantra:6 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:31» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:4» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब वायु किसलिये किसमें किन पदार्थों के रस को पीता है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-

Word-Meaning: - अधि बर्हिषि) जिसमें सब पदार्थ वृद्धि को प्राप्त होते हैं, उस अन्तरिक्ष में (इमे) ये (सोमासः) जिनसे सुख उत्पन्न होते हैं, (इन्दवः) और सब पदार्थों को गीला करनेवाले रस हैं, वे (सहसे) बल आदि गुणों के लिये ईश्वर ने (सुतासः) उत्पन्न किये हैं, (तान्) उन्हीं को (इन्द्र) वायु क्षण-क्षण में (पिब) पिया करता है॥६॥
Connotation: - ईश्वर ने इस संसार में प्राणियों के बल आदि वृद्धि के लिये जितने मूर्तिमान् पदार्थ उत्पन्न किये हैं, सूर्य्य से छिन्न-भिन्न किये हुए उनको पवन अपने निकट करके धारण करता है, उसके संयोग से प्राणी और अप्राणी बल पराक्रमवाले होते हैं॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ वायुः कस्मै कस्मिन् कान् पिबतीत्युपदिश्यते।

Anvay:

येऽधिबर्हिषीश्वरेणेमे सोमास इन्दवः सहसे सुतास उत्पादितास्तानिन्द्रो वायुः प्रतिक्षणे पिबति॥६॥

Word-Meaning: - (इमे) प्रत्यक्षाः (सोमासः) सूयन्त उत्पद्यन्ते सुखानि येभ्यस्ते (इन्दवः) उन्दन्ति स्नेहयन्ति सर्वान् पदार्थान् ये ते रसाः। उन्देरिच्चादेः। (उणा०१.१२) इत्युः प्रत्ययः, आदेरिकारादेशश्च। (सुतासः) ईश्वरेणोत्पादिताः (अधि) उपरिभावे (बर्हिषि) बृंहन्ति वर्धन्ते सर्वे पदार्था यस्मिन्नन्तरिक्षे तस्मिन्। बृंहेर्नलोपश्च। (उणा०२.१०९) अनेन इसिः प्रत्ययो नकारलोपश्च। (तान्) उक्तान् (इन्द्र) वायुः (सहसे) बलाय। सह इति बलनामसु पठितम्। (निघं०२.९) (पिब) पिबति। अत्र व्यत्ययो लडर्थे लोट् च॥६॥
Connotation: - ईश्वरेणास्मिन् जगति प्राणिनां बलादिवृद्धये यावन्तो मूर्त्ताः पदार्था उत्पादितास्तान् सूर्य्येण छेदितान् वायुः स्वसमीपस्थान् कृत्वा धरति तस्य संयोगेन प्राण्यप्राणिनो बलयन्ति॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ईश्वराने या संसारात प्राण्यांच्या बलवृद्धीसाठी प्रत्यक्ष पदार्थ उत्पन्न केलेले आहेत. सूर्याने नष्ट भ्रष्ट केलेल्या पदार्थांना वायू धारण करतो. त्याच्या संयोगाने प्राणी व अप्राणी बलवान बनतात. ॥ ६ ॥