इ॒मे सोमा॑स॒ इन्द॑वः सु॒तासो॒ अधि॑ ब॒र्हिषि॑। ताँ इ॑न्द्र॒ सह॑से पिब॥
ime somāsa indavaḥ sutāso adhi barhiṣi | tām̐ indra sahase piba ||
इ॒मे। सोमा॑सः। इन्द॑वः। सु॒तासः॑। अधि॑। ब॒र्हिषि॑। तान्। इ॒न्द्र॒। सह॑से। पि॒ब॒॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अब वायु किसलिये किसमें किन पदार्थों के रस को पीता है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अथ वायुः कस्मै कस्मिन् कान् पिबतीत्युपदिश्यते।
येऽधिबर्हिषीश्वरेणेमे सोमास इन्दवः सहसे सुतास उत्पादितास्तानिन्द्रो वायुः प्रतिक्षणे पिबति॥६॥