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ते मा॒यिनो॑ ममिरे सु॒प्रचे॑तसो जा॒मी सयो॑नी मिथु॒ना समो॑कसा। नव्यं॑नव्यं॒ तन्तु॒मा त॑न्वते दि॒वि स॑मु॒द्रे अ॒न्तः क॒वय॑: सुदी॒तय॑: ॥

English Transliteration

te māyino mamire supracetaso jāmī sayonī mithunā samokasā | navyaṁ-navyaṁ tantum ā tanvate divi samudre antaḥ kavayaḥ sudītayaḥ ||

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Pad Path

ते। मा॒यिनः॑। म॒मि॒रे॒। सु॒ऽप्रचे॑तसः। जा॒मी इति॑। सयो॑नी॒ इति॒ सऽयो॑नी। मि॒थु॒ना। सम्ऽओ॑कसा। नव्य॑म्ऽनव्यम्। तन्तु॑म्। आ। त॒न्व॒ते। दि॒वि। स॒मु॒द्रे। अ॒न्तरिति॑। क॒वयः॑। सु॒ऽदी॒तयः॑ ॥ १.१५९.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:159» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - जो (सुप्रचेतसः) सुन्दर प्रसन्नचित्त (मायिनः) प्रशंसित बुद्धि वा (सुदीतयः) सुन्दर विद्या के प्रकाशवाले (कवयः) विद्वान् जन (समोकसा) समीचीन जिनका निवास (मिथुना) ऐसे दो (सयोनी) समान विद्या वा निमित्त (जामी) सुख भोगनेवालों को प्राप्त हो वा जानकर (दिवि) बिजुली और सूर्य के तथा (समुद्रे) अन्तरिक्ष वा समुद्र के (अन्तः) बीच (नव्यंनव्यम्) नवीन नवीन (तन्तुम्) विस्तृत वस्तुविज्ञान को (ममिरे) उत्पन्न करते हैं (ते) वे सब विद्या और सुखों का (आ, तन्वते) अच्छे प्रकार विस्तार करते हैं ॥ ४ ॥
Connotation: - जो मनुष्य आप्त अध्यापक और उपदेशकों को प्राप्त हो विद्याओं को प्राप्त हो वा भूमि और बिजुली को जान समस्त विद्या के कामों को हाथ में आमले के समान साक्षात् कर औरों को उपदेश देते हैं, वे संसार को शोभित करनेवाले होते हैं ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

ये सुप्रचेतसो मायिनः सुदीतयः कवयः समोकसा मिथुना सयोनी जामी प्राप्य विदित्वा वा दिवि समुद्रेऽन्तर्नव्यंनव्यं तन्तुं ममिरे ते सर्वाणि विद्यासुखान्यातन्वते ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (ते) (मायिनः) प्रशंसिता मायाः प्रज्ञा विद्यन्ते येषान्ते (ममिरे) निर्मिमते (सुप्रचेतसः) शोभनं प्रगतं चेतो विज्ञानं येषां ते (जामी) सुखभोक्तारौ (सयोनी) समाना योनिर्विद्या निमित्तं वा ययोस्तौ (मिथुना) द्वौ (समोकसा) समीचीनमोको निवसनं ययोस्तौ (नव्यंनव्यं) नवीनंनवीनं (तन्तुम्) वितृस्तं वस्तुविज्ञानं वा (आ, तन्वते) (दिवि) विद्युति सूर्ये वा (समुद्रे) अन्तरिक्षे सागरे वा (अन्तः) मध्ये (कवयः) विद्वांसः (सुदीतयः) शोभना दीप्तिर्विद्यादीप्तिर्येषां ते। अत्र छान्दसो वर्णलोपोवेति पलोपः ॥ ४ ॥
Connotation: - ये मनुष्या आप्तावध्यापकोपदेशकावुपेत्य विद्याः प्राप्य भूमिविद्युतौ वा विदित्वा सर्वाणि विद्याकृत्यानि हस्तामलकवत्साक्षात्कृत्यान्यानुपदिशन्ति ते जगद्भूषका भवन्ति ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे आप्त, अध्यापक व उपदेशकाकडून विद्या प्राप्त करतात. भूमी व विद्युतला जाणून संपूर्ण विद्या हस्तमलकावत् साक्षात करून इतरांना उपदेश करतात, ते जगाला शोभिवंत करतात. ॥ ४ ॥