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आ यः पुरं॒ नार्मि॑णी॒मदी॑दे॒दत्य॑: क॒विर्न॑भ॒न्यो॒३॒॑ नार्वा॑। सूरो॒ न रु॑रु॒क्वाञ्छ॒तात्मा॑ ॥

English Transliteration

ā yaḥ puraṁ nārmiṇīm adīded atyaḥ kavir nabhanyo nārvā | sūro na rurukvāñ chatātmā ||

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Pad Path

आ। यः। पुर॑म्। नार्मि॑णीम्। अदी॑देत्। अत्यः॑। क॒विः। न॒भ॒न्यः॑। नार्वा॑। सूरः॑। न। रु॒रु॒क्वान्। श॒तऽआ॑त्मा ॥ १.१४९.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:149» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:21» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (यः) जो (अत्यः) व्याप्त होनेवाला (नभन्यः) आकाश में प्रसिद्ध पवन उसके (न) समान (कविः) क्रम-क्रम से पदार्थों में व्याप्त होनेवाली बुद्धिवाला वा (अर्वा) घोड़ा और (सूरः) सूर्य के (न) समान (रुरुक्वान्) रुचिमान् (शतात्मा) असंख्यात पदार्थों में विशेष ज्ञान रखनेवाला जन (नार्मिणीम्) क्रीडाविलासी आनन्द भोगनेवाले जनों की (पुरम्) पुरी को (आदीदेत्) अच्छे प्रकार प्रकाशित करे वह न्याय करने योग्य होता है ॥ ३ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो असंख्यात पदार्थों की विद्याओं को जाननेवाला अच्छी शोभायुक्त नगरी को बसावे, वह ऐश्वर्यों से सूर्य के समान प्रकाशमान हो ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

योऽत्यो नभन्यो न कविरर्वा सूरो न रुरुक्वान् शतात्मा जनो नार्मिणीं पुरमादीदेत् प्रकाशयेत् स न्यायं कर्त्तुमर्हति ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (यः, पुरम्) (नार्मिणीम्) नर्माणि क्रीडाविलासा विद्यन्ते येषां तेषामिमाम् (अदीदेत्) (अत्यः) अतति व्याप्नोतीति (कविः) क्रान्तप्रज्ञः (नभन्यः) नभसि भवो नभन्यो वायुः। अत्र वर्णव्यत्ययेन नकारादेशः। नभ इति साधारणना०। निघं० १। ४। (न) इव (अर्वा) अश्वः (सूरः) सूर्यः (न) इव (रुरुक्वान्) रुचिमान् (शतात्मा) शतेष्वसंख्यातेषु पदार्थेष्वात्मा विज्ञानं यस्य सः ॥ ३ ॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। योऽसंख्यातपदार्थविद्यावित् सुशोभितां नगरीं वासयेत् स ऐश्वर्यैः सवितेव प्रकाशमानः स्यात् ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जो असंख्य पदार्थ विद्येचा जाणकार असून सुशोभित नगर वसवितो तो ऐश्वर्ययुक्त बनून सूर्याप्रमाणे प्रकाशमान होतो. ॥ ३ ॥