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यु॒वं तासां॑ दि॒व्यस्य॑ प्र॒शास॑ने वि॒शां क्ष॑यथो अ॒मृत॑स्य म॒ज्मना॑। याभि॑र्धे॒नुम॒स्वं१॒॑ पिन्व॑थो नरा॒ ताभि॑रू॒ षु ऊ॒तिभि॑रश्वि॒ना ग॑तम् ॥

English Transliteration

yuvaṁ tāsāṁ divyasya praśāsane viśāṁ kṣayatho amṛtasya majmanā | yābhir dhenum asvam pinvatho narā tābhir ū ṣu ūtibhir aśvinā gatam ||

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Pad Path

यु॒वम्। तासा॑म्। दि॒व्यस्य॑। प्र॒ऽशास॑ने। वि॒शाम्। क्ष॒य॒थः॒। अ॒मृत॑स्य। म॒ज्मना॑। याभिः॑। धे॒नुम्। अ॒स्व॑म्। पिन्व॑थः। न॒रा॒। ताभिः॑। ऊँ॒ इति॑। सु। ऊ॒तिऽभिः॑। अ॒श्वि॒ना॒। आ। ग॒त॒म् ॥ १.११२.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:112» Mantra:3 | Ashtak:1» Adhyay:7» Varga:33» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:16» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (नरा) विद्या व्यवहार में प्रधान (अश्विना) अध्यापक और उपदेशक लोगो ! (युवम्) तुम दोनों (दिव्यस्य) अतीव शुद्ध (अमृतस्य) नाशरहित परमात्मा के (मज्मना) अनन्त बल के साथ जो परमात्मा के सम्बन्ध में प्रजाजन हैं (तासाम्) उन (विशाम्) प्रजाओं के (प्रशासने) शिक्षा करने में (क्षयथः) निवास करते हो (उ) और (याभिः) जिन (ऊतिभिः) रक्षाओं से (अस्वम्) जो दुष्ट काम को न उत्पन्न करती है उस (धेनुम्) सब सुख वर्षानेवाली वाणी का (पिन्वथः) सेवन करते हो (ताभिः) उन रक्षाओं के साथ (सु, आ, गतम्) अच्छे प्रकार हम लोगों को प्राप्त होओ ॥ ३ ॥
Connotation: - वे ही धन्य विद्वान् हैं जो प्रजाजनों को विद्या, अच्छी शिक्षा और सुख की वृद्धि होने के लिये प्रसन्न करते और उनके शरीर तथा आत्मा के बल को नित्य बढ़ाया करते हैं ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे नराऽश्विना युवं दिव्यस्याऽमृतस्य मज्मना सह यास्तत्संबन्धे प्रजास्सन्ति तासां विशां प्रशासने क्षयथ उ याभिरूतिभिरस्वं धेनुम् पिन्वथस्ताभिः स्वागतम् ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (युयम्) युवामुपदेशकाध्यापकौ (तासाम्) पूर्वोक्तानाम् (दिव्यस्य) अतिशुद्धस्य (प्रशासने) (विशाम्) मनुष्यादिप्रजानाम् (क्षयथः) निवसथः (अमृतस्य) नाशरहितस्य परमात्मनः (मज्मना) बलेन (याभिः) (धेनुम्) वाचम् (अस्वम्) या दुष्कर्म न सूते नोत्पादयति ताम् (पिन्वथः) सेवेथाम् (नरा) नायकौ (ताभिः) (उ) वितर्के (सु) शोभने (ऊतिभिः) रक्षणादिभिः (अश्विना) (आ) (गतम्) समन्तात् प्राप्नुतम् ॥ ३ ॥
Connotation: - त एव धन्या विद्वांसो ये प्रजाजनान् विद्यासुशिक्षासुखवृद्धये प्रसादयन्ति तेषां शरीरात्मनो बलं च नित्यं वर्द्धयन्ति ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - तेच विद्वान धन्य आहेत जे प्रजेला विद्या, सुशिक्षण व सुखाची वृद्धी करण्यासाठी प्रसन्न ठेवतात. त्यांच्या शरीर व आत्म्याचे बल सदैव वाढवितात. ॥ ३ ॥