Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मनुष्य कर्त्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (त्वा) तुझको (द्यौः) सूर्य ने (उत्) ऊपर को, (पृथिवी) पृथिवी ने (उत्) ऊपर को और (प्रजापतिः) प्रजापालक परमेश्वर ने (उत्) ऊपर को (अग्रभीत्) ग्रहण किया है। (त्वा) तुझको (सोमराज्ञीः) सोम [अमृत वा चन्द्रमा] को राजा रखनेवाली (ओषधयः) ओषधियों ने (मृत्योः) मृत्यु से [अलगा कर] (उत्) भली-भाँति (अपीपरन्) पाला है ॥१७॥
Connotation: - मनुष्य परमेश्वर, सूर्य और पृथिवी के नियमों को विचार कर अन्न आदि पदार्थ प्राप्त करके प्रसन्न रहें ॥१७॥
Footnote: १७−(उत्) ऊर्ध्वम् (त्वा) त्वाम् (द्यौः) प्रकाशमानः सूर्यः (पृथिवी) (प्रजापतिः) प्रजापालको जगदीश्वरः (अग्रभीत्) गृहीतवान् (मृत्योः) मृत्युरूपदुःखात् (ओषधयः) अन्नादिपदार्थाः (सोमराज्ञीः) सोमोऽमृतं चन्द्रो वा राजा यासां ताः (अपीपरन्) पॄ पालनपूरणयोः-लुङ्। अपालयन् ॥