Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
कुवचन के त्याग का उपदेश।
Word-Meaning: - (इह) यहाँ पर (नः) हमारे (गृहेषु) घरों में (गावः) गौएँ (उपहूताः) आदर से बुलायी गयीं, और (अजावयः) भेड़-बकरी (उपहूताः) पास में बुलायी गयीं होवें। (अथो) और भी (अन्नस्य) अन्न का (कीलालः) रसीला पदार्थ (उपहूतः) पास लाया गया हो ॥५॥
Connotation: - मनुष्य दूधवाले गौ आदि पशु और भोजन के उत्तम पदार्थ संग्रह करके परस्पर रक्षा करें ॥५॥ यह मन्त्र यजुर्वेद में है−३।४३। और संस्कारविधि गृहाश्रमप्रकरण में भी आया है ॥
Footnote: ५−(उपहूताः) सत्कारेण समीपे वा प्राप्ताः (इह) गृहाश्रमे (गावः) गवादिदुग्धपशवः (उपहूताः) (अजावयः) अजाश्च अवयश्च (अथो) अपि (अन्नस्य) भोजनस्य (कीलालः) अ० ४।११।१०। सारपदार्थः (उपहूतः) (गृहेषु) गेहेषु (नः) अस्माकम् ॥