Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
बुद्धि बढ़ाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (या) जो (ज्योतिष्मती) उत्तम ज्योतिवाली [अन्न-सामग्री] (तमः) अन्धकार का (तिरः) तिरस्कार करके (नः) हमें (पीपरत्) पूर्ण करे, (अश्विना) व्यवहारों में व्यापक दोनों [माता-पिता] (ताम्) उस (इषम्) अन्नसामग्री को (अस्मे) हमें (रासताम्) दिया करें ॥४॥
Connotation: - माता-पिता सन्तानों को ऐसा विद्वान् और बलवान् बनावें कि जिससे उत्तम अन्न के भोगने से नेत्रों में कभी अन्धकार न छाए, किन्तु सदा ज्योति बनी रहे ॥४॥
Footnote: यह मन्त्र कुछ भेद से ऋग्वेद में है-१।४६।६॥४−(या) इट्। अन्नसामग्री (नः) अस्मान् (पीपरत्) पूरयेत् (अश्विना) व्यवहारेषु व्यापकौ मातापितरौ (ज्योतिष्मती) प्रकाशवती (तमः) अन्धकारम् (तिरः) तिरस्कृत्य (ताम्) तादृशीम् (अस्मे) अस्मभ्यम् (रासताम्) प्रयच्छतां तौ (इषम्) इषम्, अन्ननाम-निघ०२।७। इष्यमानामन्नसामग्रीम् ॥