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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
आशीर्वाद देने का उपदेश।
Word-Meaning: - वह [परमात्मा] (प्राणेन) प्राण [जीवनसामर्थ्य] के साथ (अग्निम्) अग्नि को (सं सृजति) संयुक्त करता है, (वातः) वायु (प्राणेन) प्राण [जीवनसामर्थ्य] के साथ (संहितः) मिला हुआ है। (प्राणेन) प्राण [जीवनसामर्थ्य] के साथ (विश्वतोमुखम्) सब ओर मुखवाले (सूर्यम्) सूर्य को (देवाः) दिव्य नियमों ने (अजनयन्) उत्पन्न किया है ॥७॥
Connotation: - जैसे परमात्मा ने अग्नि आदि में प्राण वा जीवनसामर्थ्य देकर उपयोगी बनाया है, वैसे ही मनुष्य अपनी आत्मिक और शारीरिक शक्तियों द्वारा जीवन को उपयोगी बनावें ॥७॥
Footnote: ७−(प्राणेन) जीवनसामर्थ्येन (अग्निम्) पावकम् (सं सृजति) संयोजयति स परमेश्वरः (वातः) वायुः (प्राणेन) जीवनसामर्थ्येन (संहितः) संधीकृतः (प्राणेन) (विश्वतोमुखम्) सर्वतोमुखमिव द्रष्टारम् (सूर्यम्) (देवाः) दिव्यनियमाः (अजनयन्) उदपादयन् ॥