वांछित मन्त्र चुनें

ता स॒म्राजा॑ घृ॒तासु॑ती आदि॒त्या दानु॑न॒स्पती॑। सचे॑ते॒ अन॑वह्वरम्॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

tā samrājā ghṛtāsutī ādityā dānunas patī | sacete anavahvaram ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

ता। स॒म्ऽराजा॑। घृ॒तासु॑ती॒ इति॑ घृ॒तऽआ॑सुती। आ॒दि॒त्या। दानु॑नः। पती॑। सचे॑ते॒ इति॑। अन॑वऽह्वरम्॥

ऋग्वेद » मण्डल:2» सूक्त:41» मन्त्र:6 | अष्टक:2» अध्याय:8» वर्ग:8» मन्त्र:1 | मण्डल:2» अनुवाक:4» मन्त्र:6


बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब सूर्य्य और चन्द्रमा के विषय को कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! जो (घृतासुती) शुद्ध तत्त्व जल को निकालनेवाले (सम्राजा) अच्छे प्रकार प्रकाशमान चक्रवर्त्ति राजा के समान वर्त्तमान (आदित्या) अखण्डित (दानुनः) दान के (पती) पालन करनेवाले सूर्य चन्द्रमा सबका (सचेते) सम्बन्ध करते हैं (ता) उनको (अनवह्वरम्) सरलता जैसे हो वैसे सिद्ध करो ॥६॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! जो सूर्य्य चन्द्रमा सबका प्रकाश करने वा जल के देनेवाले सबके अनुसङ्गी सीधे मार्ग से जाते हैं, वैसे शुद्ध मार्ग में जाओ ॥६॥
बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ सूर्य्याचन्द्रविषयमाह।

अन्वय:

हे मनुष्या यौ घृतासुती सम्राजा आदित्या दानुनस्पती सर्वं सचेते ता अनवह्वरं साध्नुत ॥६॥

पदार्थान्वयभाषाः - (ता) तौ (सम्राजा) सम्यग् राजमानौ चक्रवर्त्तिनृपवद्वर्त्तमानौ (घृतासुती) यौ घृतमुदकमासुनुतः (आदित्या) अखण्डितौ (दानुनः) दानस्य (पती) पालकौ (सचेते) सम्बध्नतः (अनवह्वरम्) सरलम् ॥६॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्या यौ सूर्य्याचन्द्रमसौ सर्वस्य प्रकाशकौ जलप्रदौ सर्वानुषङ्गिणौ सरलं मार्गं गच्छतस्तथा शुद्धे मार्गे गच्छत ॥६॥
बार पढ़ा गया

माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो! सूर्य, चंद्र सर्वांना प्रकाश देतात व जल देतात. सर्वांच्या संगतीने सरळ मार्गाने चालतात तसे शुद्ध मार्गाने चाला. ॥ ६ ॥