आ ग्ना अ॑ग्न इ॒हाव॑से॒ होत्रां॑ यविष्ठ॒ भार॑तीम्। वरू॑त्रीं धि॒षणां॑ वह॥
ā gnā agna ihāvase hotrāṁ yaviṣṭha bhāratīm | varūtrīṁ dhiṣaṇāṁ vaha ||
आ। ग्नाः। अ॒ग्ने॒। इ॒ह। अव॑से। होत्रा॑म्। य॒वि॒ष्ठ॒। भार॑तीम्। वरू॑त्रीम्। धि॒षणा॑म्। व॒ह॒॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
वे कौन-कौन देवपत्नी हैं, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-
स्वामी दयानन्द सरस्वती
का का सा देवपत्नीत्युपदिश्यते।
हे यविष्ठाग्ने विद्वँस्त्वमिहावसे ग्ना होत्रां भारतीं वरूत्रीं धिषणामा वह समन्तात् प्राप्नुहि॥१०॥