Go To Mantra

यं त्वं वि॑प्र मे॒धसा॑ता॒वग्ने॑ हि॒नोषि॒ धना॑य । स तवो॒ती गोषु॒ गन्ता॑ ॥

English Transliteration

yaṁ tvaṁ vipra medhasātāv agne hinoṣi dhanāya | sa tavotī goṣu gantā ||

Pad Path

यम् । त्वम् । वि॒प्र॒ । मे॒धऽसा॑तौ । अग्ने॑ । हि॒नोषि॑ । धना॑य । सः । तव॑ । ऊ॒ती । गोषु॑ । गन्ता॑ ॥ ८.७१.५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:71» Mantra:5 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:8» Mantra:5


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (प्रियजात) हे सर्वप्राणियों के प्रिय सर्वशक्ते जगदीश ! (वः) तेरे ऊपर (पौरुषेयः+मन्युः) मनुष्यसम्बन्धी क्रोध (नहि+ईशे) अपना प्रभाव नहीं डाल सकता, क्योंकि (त्वम्+इत्) तू ही (क्षपावान्+असि) पृथिवीश्वर है ॥२॥
Connotation: - जिस कारण परमात्मा ही पृथिवीश्वर है, अतः उसके ऊपर मनुष्य का प्रभाव नहीं पड़ सकता, किन्तु उसका प्रभाव मनुष्यों के ऊपर पड़ता है, क्योंकि वह क्षपावान्=पृथिवीश्वर है। कोई इस शब्द का अर्थ रात्रिस्वामी भी करते हैं। क्षपा=रात्रि ॥२॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे सर्वशक्ते ! हे प्रियजात=जातानां प्राणिनां प्रिय ! वस्तवोपरि। पौरुषेयः। मन्युः=पुरुषसम्बन्धी क्रोधः। नहि+ ईशे। यतस्त्वमिदसि=त्वमेवासि। क्षपावान्=क्षमावान्= पृथिवीश्वरः ॥२॥