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त्वं ह्य॑ग्ने अ॒ग्निना॒ विप्रो॒ विप्रे॑ण॒ सन्त्स॒ता । सखा॒ सख्या॑ समि॒ध्यसे॑ ॥

English Transliteration

tvaṁ hy agne agninā vipro vipreṇa san satā | sakhā sakhyā samidhyase ||

Pad Path

त्वम् । हि । अ॒ग्ने॒ । अ॒ग्निना॑ । विप्रः॑ । विप्रे॑ण । सन् । स॒ता । सखा॑ । सख्या॑ । स॒म्ऽइ॒ध्यसे॑ ॥ ८.४३.१४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:43» Mantra:14 | Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:31» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:14


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SHIV SHANKAR SHARMA

इस समय अग्निवाच्य ईश्वर ही पूज्य है, यह दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - हम उपासक (अग्नये) उस सर्वव्यापी जगदीश्वर की (स्तोमैः) विविध स्तोत्रों और मन से (विधेम) उपासना करें, जो ईश्वर (उक्षान्नाय) धनवर्षक सूर्य्यादिकों के भी अन्नवत् पोषक है, पुनः (वशान्नाय) स्ववशीभूत समस्त जगतों का भी अन्नवत् धारक और पोषक है, पुनः (वेधसे) सबके रचयिता भी हैं। ऐसे जगदीश्वर की उपासना करें ॥११॥
Connotation: - जो सबका धाता विधाता ईश है, उसकी उपासना सर्व भाव से करो ॥११॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इदानीमग्निवाच्येश्वर एव पूज्योऽस्तीति प्रदर्श्यते।

Word-Meaning: - वयमुपासकाः। अग्नये=सर्वव्यापकाय महेश्वराय। स्तोमैः=स्तोत्रैः। विधेम=परिचरेम। कीदृशाय। उक्षान्नाय=उक्षणां=धनवर्षकाणां सूर्य्यादीनामपि। अन्नाय=अन्नवत् पोषकाय। पुनः। वशान्नाय=वशानां वशीभूतानां समस्तानां जगताम्। अन्नाय अन्नवत्पोषकाय। पुनः। वेधसे=विधात्रे=रचयित्रे इत्यर्थः ॥११॥