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क ईं॒ व्य॑क्ता॒ नरः॒ सनी॑ळा रु॒द्रस्य॒ मर्या॒ अधा॒ स्वश्वाः॑ ॥१॥

English Transliteration

ka īṁ vyaktā naraḥ sanīḻā rudrasya maryā adha svaśvāḥ ||

Pad Path

के। ई॒म्। विऽअ॑क्ताः। नरः॑। सऽनी॑ळाः। रु॒द्रस्य॑। मर्याः॑। अध॑। सु॒ऽअश्वाः॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:56» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:23» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पच्चीस ऋचावाले छप्पनवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में अब कौन मनुष्य श्रेष्ठ होते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् ! (अध) अनन्तर इस के (के) कौन (ईम्) सब ओर से (रुद्रस्य) रोगों के निकालनेवाले के (स्वश्वाः) सुन्दर घोड़े का महान् जल जिस में विद्यमान हैं (व्यक्ताः) विशेषता से प्रसिद्ध (सनीळाः) समान घरवाले (मर्याः) मरणधर्मा (नरः) नायक मनुष्य हैं, इस को कहो ॥१॥
Connotation: - इस संसार में कौन उत्तम प्रशंसा करने योग्य मनुष्य हैं, इस का अगले मन्त्र में समाधान जानना चाहिये ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ के मनुष्याः श्रेष्ठा भवन्तीत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वन्नध क ईं रुद्रस्य स्वश्वा व्यक्ताः सनीळा मर्या नरस्सन्तीति ब्रूहि ॥१॥

Word-Meaning: - (के) (ईम्) सर्वतः (व्यक्ताः) विशेषेण प्रसिद्धाः कमनीयाः (नरः) नेतारो मनुष्याः (सनीळाः) समानं नीळं प्रशंसनीयं गृहं येषां ते (रुद्रस्य) रोगाणां द्रावकस्य निस्सारकस्य (मर्याः) मनुष्याः (अधा) अथ। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (स्वश्वाः) शोभना अश्वाः तुरङ्गा महान्तो जना वा येषां ते ॥१॥
Connotation: - अत्र संसारे क उत्तमाः प्रसिद्धाः प्रशंसनीयाः मनुष्यास्सन्तीत्यस्याग्रस्थे मन्त्रे समाधानं वेद्यमिति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात वायू, विद्वान, राजा, शूरवीर, अध्यापक, उपदेशक व रक्षक यांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या जगात उत्तम, प्रसिद्ध, प्रशंसा करण्यायोग्य कोणती माणसे आहेत याचे पुढच्या मंत्रात उत्तर आहे. ॥ १ ॥