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मा नो॑ अग्ने॒ऽवीर॑ते॒ परा॑ दा दु॒र्वास॒सेऽम॑तये॒ मा नो॑ अ॒स्यै। मा नः॑ क्षु॒धे मा र॒क्षस॑ ऋतावो॒ मा नो॒ दमे॒ मा वन॒ आ जु॑हूर्थाः ॥१९॥

English Transliteration

mā no agne vīrate parā dā durvāsase mataye mā no asyai | mā naḥ kṣudhe mā rakṣasa ṛtāvo mā no dame mā vana ā juhūrthāḥ ||

Pad Path

मा। नः॒। अ॒ग्ने॒। अ॒वीर॑ते। परा॑। दा। दुः॒ऽवास॑से। अम॑तये। मा। नः॒। अ॒स्यै। मा। नः॒। क्षु॒धे। मा। र॒क्षसे॑। ऋ॒त॒ऽवः॒। मा। नः॒। दमे॑। मा। वने॑। आ। जु॒हू॒र्थाः॒ ॥१९॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:1» Mantra:19 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:26» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:19


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् लोग क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के तुल्य तेजस्वी ! आप (अवीरते) वीरतारहित सेना में (नः) हमको (मा, परा, दाः) पराङ्मुख मत कीजिये (दुर्वाससे) बुरे वस्त्र धारण करने के लिये तथा (अमतये) मूर्खपन के लिये (नः) हमको (मा) मत नियुक्त कीजिये। (नः) हमको (अस्यै) इस प्यास के लिये (मा) मत वा (क्षुधे) भूख के लिये (मा) मत नियुक्त कीजिये। हे (ऋतावः) सत्य के प्रकाशक ! (रक्षसे) दुष्ट जन के लिये (दमे) घर में (नः) हमको (मा) मत पीड़ा दीजिये (वने) वन में हम को (मा) मत (आ, जुहूर्थाः) पीड़ा दीजिये ॥१९॥
Connotation: - हे विद्वानो ! तुम लोग हमारी कातरता, दरिद्रता, मूढ़ता, क्षुधा, तृषा, दुष्टों के सङ्ग और घर वा जङ्गल में पीड़ा का निवारण कर सुखी करो ॥१९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! त्वमवीरते नो मा परा दाः। दुर्वाससेऽमतये नो मा परा दाः नोऽस्यै मा क्षुधे मा नियुङ्क्ष्व। हे ऋतावो ! रक्षसे दमे नो मा पीड वने नो मा आ जुहूर्थाः ॥१९॥

Word-Meaning: - (मा) निषेधे (नः) अस्मान् (अग्ने) पावक इव विद्वन् (अवीरते) न विद्यन्ते वीरा यस्मिन् सैन्ये तस्मिन् (परा) (दाः) पराङ्मुखान् कुर्याः (दुर्वाससे) दुष्टवस्त्रधारणाय (अमतये) मूढत्वाय (मा) (नः) अस्मान् (अस्यै) पिपासायै (मा) (नः) अस्मान् (क्षुधे) बुभुक्षायै (मा) (रक्षसे) दुष्टाय जनाय (ऋतावः) सत्यप्रकाशक (मा) (नः) अस्मान् (दमे) गृहे (मा) (वने) अरण्ये (आ) (जुहूर्थाः) प्रदद्याः ॥१९॥
Connotation: - हे विद्वांसो ! यूयमस्माकं कातरतां दारिद्र्यं मूढतां क्षुधं तृषां दुष्टसङ्गं गृहे जङ्गले वा पीडां निवार्य सुखिनः सम्पादयत ॥१९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वानांनो ! तुम्ही आमची कातरता, दारिद्र्य, मूढता, क्षुधा, तृषा, दुष्टांचा संग किंवा वनातील त्रास याचे निवारण करा व सुखी करा. ॥ १९ ॥