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सु॒ज्योति॑षः सूर्य॒ दक्ष॑पितॄननागा॒स्त्वे सु॑महो वीहि दे॒वान्। द्वि॒जन्मा॑नो॒ य ऋ॑त॒सापः॑ स॒त्याः स्व॑र्वन्तो यज॒ता अ॑ग्निजि॒ह्वाः ॥२॥

English Transliteration

sujyotiṣaḥ sūrya dakṣapitṝn anāgāstve sumaho vīhi devān | dvijanmāno ya ṛtasāpaḥ satyāḥ svarvanto yajatā agnijihvāḥ ||

Pad Path

सु॒ऽज्योति॑षः। सू॒र्य॒। दक्ष॑ऽपितॄन्। अ॒ना॒गाः॒ऽत्वे। सु॒ऽम॒हः॒। वी॒हि॒। दे॒वान्। द्वि॒ऽजन्मा॑नः। ये। ऋ॒त॒ऽसापः॑। स॒त्याः। स्वः॑ऽवन्तः। य॒ज॒ताः। अ॒ग्नि॒ऽजि॒ह्वाः ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:50» Mantra:2 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब मनुष्य निरन्तर क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सूर्य) सूर्य के समान वर्त्तमान ! (ये) जो (अनागास्त्वे) अनपराधिपन में (द्विजन्मानः) उत्पत्ति और विद्याप्राप्तिरूप जन्मवाले (ऋतसापः) सत्य से सम्बन्ध करते वा (सत्याः) प्रतिज्ञा करते (स्वर्वन्तः) वा बहु सुखयुक्त (यजताः) समस्त विद्याओं का सङ्ग करते (अग्निजिह्वाः) वा अग्नि के समान सत्य विद्या से सुन्दर प्रकाशित जिह्वाएँ जिनकी वा (सुज्योतिषः) सुन्दर विनय के प्रकाश करनेवाले विद्वान् हों उन (सुमहः) श्रेष्ठ महान् महाशय (दक्षपितॄन्) चतुर पिता और विद्या पढ़ानेवाले (देवान्) विद्वानों को आप निरन्तर (वीहि) प्राप्त होओ व उनकी कामना करो, ऐसा होने पर सर्वदा कल्याण प्राप्त होवे ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य सूर्य के समान विद्या और धर्म के प्रकाश करनेवाले अध्यापक, उपदेशक वा विद्वानों की सेवा करते हैं, वे भी वैसे ही होते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मनुष्याः सततं किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे सूर्य इव विद्वन् ! येऽनागास्त्वे द्विजन्मान ऋतसापः सत्याः स्वर्वन्तो यजता अग्निजिह्वाः सुज्योतिषो विद्वांसः स्युस्तान् सुमहो दक्षपितॄन् देवांस्त्वं सततं वीहि, एवं सति सर्वदा कल्याणं निवहेत् ॥२॥

Word-Meaning: - (सुज्योतिषः) सुष्ठुविनयप्रकाशकाः (सूर्य) सूर्य्य इव वर्त्तमान (दक्षपितॄन्) चतुरान् जनकानध्यापकान् वा (अनागास्त्वे) अनपराधित्वे (सुमहः) सुष्ठु महतो महाशयान् (वीहि) प्राप्नुहि कामय वा (देवान्) विदुषः (द्विजन्मानः) द्वे उत्पत्तिविद्याप्राप्तिरूपे जन्मनी येषान्ते (ये) (ऋतसापः) य ऋतेन सत्येन सपन्ति सम्बध्नन्ति (सत्याः) प्रतिज्ञां कुर्वन्ति (स्वर्वन्तः) बहुसुखयुक्ताः (यजताः) ये सर्वा विद्याः सङ्गच्छन्ते (अग्निजिह्वाः) अग्निरिव सत्यविद्यया सुप्रकाशिता जिह्वा येषान्ते ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्याः सूर्य्यवद्विद्याधर्मप्रकाशकानध्यापकोपदेशकान् विदुषः सुसेवन्ते तेऽपि तादृशा भवन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे सूर्याप्रमाणे विद्या व धर्माचा प्रकाश करणाऱ्या अध्यापक, उपेदशक, विद्वानांची सेवा करतात तीही त्यांच्याप्रमाणे बनतात. ॥ २ ॥