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प॒रो हि मर्त्यै॒रसि॑ स॒मो दे॒वैरु॒त श्रि॒या। अ॒भि ख्यः॑ पूष॒न्पृत॑नासु न॒स्त्वमवा॑ नू॒नं यथा॑ पु॒रा ॥१९॥

English Transliteration

paro hi martyair asi samo devair uta śriyā | abhi khyaḥ pūṣan pṛtanāsu nas tvam avā nūnaṁ yathā purā ||

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Pad Path

प॒रः। हि। मर्त्यैः॑। असि॑। स॒मः। दे॒वैः। उ॒त। श्रि॒या। अ॒भि। ख्यः॒। पू॒ष॒न्। पृत॑नासु। नः॒। त्वम्। अव॑। नू॒नम्। यथा॑। पु॒रा ॥१९॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:48» Mantra:19 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:4» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:19


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों को कैसा होना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (पूषन्) पुष्टि करनेवाले ! (यथा) जैसे (हि) जिस कारण (पुरा) पहिले (त्वम्) आप (नः) हमारी (पृतनासु) मनुष्य सेनाओं में (अभि, ख्यः) सब ओर से अच्छे प्रकार कथन करते हैं, वैसे (नूनम्) निश्चित (मर्त्यैः) साधारण मनुष्य वा (देवैः) विद्वान् (उत) और (श्रिया) लक्ष्मी के साथ (परः) उत्कृष्ट अत्युत्तम वा (समः) समान (असि) हैं इससे (अवा) रक्षा कीजिये ॥१९॥
Connotation: - जो विद्वानों के तुल्य है वह विद्वान्, जो मनुष्यों के तुल्य है वह मध्यम, और जो पशुओं के तुल्य है वह अधम मनुष्य है, इसको सब जानें ॥१९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैः कीदृशैर्भवतिव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे पूषन् ! यथा हि पुरा त्वं नः पृतनास्वभि ख्यस्तथा नूनं मर्त्यैर्देवैरुत श्रिया सह परः समोऽस्यतोऽवा ॥१९॥

Word-Meaning: - (परः) उत्कृष्टः (हि) यतः (मर्त्यैः) मनुष्यैः सह (असि) (समः) तुल्यः (देवैः) विद्वद्भिः (उत) अपि (श्रिया) लक्ष्म्या (अभि) (ख्यः) प्रकथयसि (पूषन्) पुष्टिकर्त्तः (पृतनासु) मनुष्यसेनासु (नः) अस्माकम् (त्वम्) (अवा) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (नूनम्) निश्चितम् (यथा) (पुरा) ॥१९॥
Connotation: - यो विद्वद्भिस्तुल्यः स विद्वान् यो मनुष्यैः सदृशः स मध्यमो य पशुभिस्सदृशः सोऽधमो मनुष्योऽस्तीति सर्वे जानन्तु ॥१९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो विद्वानांप्रमाणे असतो तो विद्वान, जो माणसांप्रमाणे असतो तो मध्यम व जो पशूप्रमाणे असतो तो अधम असतो, हे सर्वांनी जाणावे. ॥ १९ ॥