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स नो॑ नि॒युद्भि॒रा पृ॑ण॒ कामं॒ वाजे॑भिर॒श्विभिः॑। गोम॑द्भिर्गोपते धृ॒षत् ॥२१॥

English Transliteration

sa no niyudbhir ā pṛṇa kāmaṁ vājebhir aśvibhiḥ | gomadbhir gopate dhṛṣat ||

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Pad Path

सः। नः॒। नि॒युत्ऽभिः॑। आ। पृ॒ण॒। काम॑म्। वाजे॑ऽभिः। अ॒श्विऽभिः॑। गोम॑त्ऽभिः। गो॒ऽप॒ते॒। धृ॒षत् ॥२१॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:45» Mantra:21 | Ashtak:4» Adhyay:7» Varga:25» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:4» Mantra:21


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा और प्रजाजन परस्पर किसकी शोभा करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (गोपते) इन्द्रियों के स्वामिन् ! (सः) वह (धृषत्) ढीठ, धर्षण करनेवाले आप (वाजेभिः) विज्ञान और अन्न आदि के करनेवाले (नियुद्भिः) निश्चित कारण तथा (गोमद्भिः) प्रशंसित भूमि, गौ और वाणी से युक्त (अश्वभिः) सूर्य्य और चन्द्रमा आदिकों से (नः) हम लोगों के (कामम्) मनोरथ की (आ) सब प्रकार से (पृण) पूर्त्ति करिये ॥२१॥
Connotation: - हे राजन् ! जो आप हम लोगों के मनोरथ की पूर्त्ति करिये तो हम लोग भी आपकी इच्छा की पूर्त्ति करें ॥२१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजप्रजाजना परस्परं किमलङ्कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे गोपते ! स धृषत्त्वं वाजेभिर्नियुद्भिर्गोमद्भिरश्विभिर्नः काममा पृण ॥२१॥

Word-Meaning: - (सः) (नः) अस्माकम् (नियुद्भिः) निश्चितहेतुभिः (आ) समन्तात् (पृण) पूरय (कामम्) (वाजेभिः) विज्ञानान्नादिकारिभिः (अश्विभिः) सूर्य्याचन्द्रमआदिभिः (गोमद्भिः) प्रशस्तभूमिधेनुवाग्युक्तैः (गोपते) गवां स्वामिन् (धृषत्) प्रगल्भः सन् ॥२१॥
Connotation: - हे राजन् ! यदि त्वमस्माकं कामनां पूरयेस्तर्हि वयमपि तवेच्छां पूरयेम ॥२१॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे राजा ! जर तू आमचे मनोरथ पूर्ण करशील तर आम्हीही तुझ्या इच्छा पूर्ण करू. ॥ २१ ॥