Go To Mantra

त्वमि॒मा वार्या॑ पु॒रु दिवो॑दासाय सुन्व॒ते। भ॒रद्वा॑जाय दा॒शुषे॑ ॥५॥

English Transliteration

tvam imā vāryā puru divodāsāya sunvate | bharadvājāya dāśuṣe ||

Mantra Audio
Pad Path

त्वम्। इ॒मा। वार्या॑। पु॒रु। दिवः॑ऽदासाय। सु॒न्व॒ते। भ॒रत्ऽवा॑जाय। दा॒शुषे॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:5 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्य किसका सत्कार करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जिस कारण से (त्वम्) आप (दिवोदासाय) कामना करने योग्य पदार्थ के देने और (सुन्वते) सोमलतारूप ओषधि आदि की सिद्धि करनेवाले और (भरद्वाजाय) धारण किया विज्ञान जिसने उसके और (दाशुषे) विज्ञान के देनेवाले के लिये (इमा) इन (पुरु) बहुत (वार्य्या) स्वीकार करने योग्यों को देते हो, इससे प्रशंसा करने योग्य हो ॥५॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि सत्य के उपदेशकों और विद्या के प्रचारकों का सदा ही सत्कार करें, अन्य जनों का नहीं ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्याः कं सत्कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यतस्त्वं दिवोदासाय सुन्वते भरद्वाजाय दाशुष इमा पुरु वार्य्या ददासि तस्मात् प्रशंसनीयोऽसि ॥५॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (इमा) इमानि (वार्य्या) वार्य्याणि स्वीकर्त्तुमर्हाणि (पुरु) बहूनि (दिवोदासाय) कमनीयस्य पदार्थस्य दात्रे (सुन्वते) सोमौषध्यादिसिद्धिसम्पादकाय (भरद्वाजाय) धृतविज्ञानाय (दाशुषे) विज्ञानस्य दात्रे ॥५॥
Connotation: - मनुष्यैस्सत्योपदेशका विद्याप्रचारकाश्च सदैव सत्कर्त्तव्या नेतरे ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी सत्य उपदेशकांचा व विद्या प्रचारकांचा सदैव सत्कार करावा, इतरांचा नव्हे! ॥ ५ ॥