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य उ॒ग्रइ॑व शर्य॒हा ति॒ग्मशृ॑ङ्गो॒ न वंस॑गः। अग्ने॒ पुरो॑ रु॒रोजि॑थ ॥३९॥

English Transliteration

ya ugra iva śaryahā tigmaśṛṅgo na vaṁsagaḥ | agne puro rurojitha ||

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Pad Path

यः। उ॒ग्रःऽइ॑व। श॒र्य॒ऽहा। ति॒ग्मऽशृ॑ङ्गः। न। वंस॑ऽगः। अग्ने॑। पुरः॑। रु॒रोजि॑थ ॥३९॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:39 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:28» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:39


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के सदृश तेजस्वी (यः) जो आप (वंसगः) सेवन करने योग्य व्यवहार को प्राप्त होने और (शर्यहा) मारने योग्य को मारनेवाले (तिग्मशृङ्गः) तीव्र शृङ्गों के सदृश किरणोंवाले सूर्य्य के (न) समान शत्रुओं के (पुरः) आगे (उग्रइव) तेजस्वी जन जैसे वैसे (रुरोजिथ) भग्न करते हो, उन आप का हम लोग सत्कार करें ॥३९॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो राजा आदि अधिकारी जन सूर्य्य जैसे वैसे तेजस्वी होवें, वे शत्रुओं के जीतने को समर्थ होवें ॥३९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे अग्ने यस्त्वं वंसगः शर्यहा तिग्मशृङ्गो न शत्रूणां पुर उग्रइव रुरोजिथ तं वयं सत्कुर्याम ॥३९॥

Word-Meaning: - (यः) (उग्रइव) तेजस्वीव (शर्यहा) हन्तव्यहन्ता (तिग्मशृङ्गः) तिग्मानि तीव्राणि शृङ्गाणीव किरणा यस्य सूर्य्यस्य सः (न) (वंसगः) यो वंसं सम्भजनीयं व्यवहारं गच्छति सः (अग्ने) (पुरः) पुरस्तात् (रुरोजिथ) भनक्षि ॥३९॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । ये राजादयोऽधिकारिणः सूर्य्य इव तेजस्विनस्स्युस्ते शत्रून् विजेतुं शक्नुयुः ॥३९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे राजे इत्यादी अधिकारीगण सूर्याप्रमाणे तेजस्वी असतात ते शत्रूंना जिंकण्यास समर्थ असतात. ॥ ३९ ॥