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आग्निर॑गामि॒ भार॑तो वृत्र॒हा पु॑रु॒चेत॑नः। दिवो॑दासस्य॒ सत्प॑तिः ॥१९॥

English Transliteration

āgnir agāmi bhārato vṛtrahā purucetanaḥ | divodāsasya satpatiḥ ||

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Pad Path

आ। अ॒ग्निः। अ॒गा॒मि॒। भार॑तः। वृ॒त्र॒ऽहा। पु॒रु॒ऽचेत॑नः। दिवः॑ऽदासस्य। सत्ऽप॑तिः ॥१९॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:16» Mantra:19 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:24» Mantra:4 | Mandal:6» Anuvak:2» Mantra:19


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अग्नि कैसा है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् जनो ! जो (दिवोदासस्य) प्रकाश के देनेवाले का (भारतः) धारण करने वा पोषण करने और (वृत्रहा) मेघ को नाश करनेवाला (पुरुचेतनः) बहुत चेतन जिसमें वह (सत्पतिः) श्रेष्ठ स्वामी (अग्निः) अग्नि के सदृश तेजस्वी सूर्य्य (आ, अगामि) प्राप्त किया जाता है, उसका हम लोग सेवन करें ॥१९॥
Connotation: - जैसे इस देह में साधन और उपसाधनों के सहित जीव बहुत कर्म्मों को करता है, वैसे ही विद्वान् सम्पूर्ण कर्म्मों को सिद्ध करता है ॥१९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! यो दिवोदासस्य भारतो वृत्रहा पुरुचेतनः सत्पतिरग्निः सूर्य्य आऽगामि तं वयं सेवेमहि ॥१९॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (अग्निः) अग्निरिव तेजस्वी (अगामि) गम्यते (भारतः) धर्ता पोषको वा (वृत्रहा) यो वृत्रं हन्ति सः (पुरुचेतनः) बहवश्चेतना यस्मिन् (दिवोदासस्य) प्रकाशदातुः (सत्पतिः) ॥१९॥
Connotation: - यथाऽस्मिन् देहे साधनोपसाधनैः सहितो जीवो बहूनि कर्म्माणि करोति तथैव विद्वानखिलानि कर्म्माणि साध्नोति ॥१९॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जसे या देहात जीव साधन, उपसाधनांनी पुष्कळ कर्म करतो तसेच विद्वान सर्व काम करतो. ॥ १९ ॥