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इ॒ममु॒ त्यम॑थर्व॒वद॒ग्निं म॑न्थन्ति वे॒धसः॑। यम॑ङ्कू॒यन्त॒मान॑य॒न्नमू॑रं श्या॒व्या॑भ्यः ॥१७॥

English Transliteration

imam u tyam atharvavad agnim manthanti vedhasaḥ | yam aṅkūyantam ānayann amūraṁ śyāvyābhyaḥ ||

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Pad Path

इ॒मम्। ऊँ॒ इति॑। त्यम्। अ॒थ॒र्व॒ऽवत्। अ॒ग्निम्। म॒न्थ॒न्ति॒। वे॒धसः॑। यम्। अ॒ङ्कु॒ऽयन्त॑म्। आ। अन॑यन्। अमू॑रम्। श्या॒व्या॑भ्यः ॥१७॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:15» Mantra:17 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:20» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर बिजुली को किससे निकालें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (वेधसः) बुद्धिमान् विद्वान् जन (श्याव्याभ्यः) रात्रियों में हुई क्रियाओं से (यम्) जिस (अङ्कूयन्तम्) प्रसिद्ध चिह्न प्राप्त होते जिसमें (इमम्) इस (उ) और (त्यम्) जो नहीं प्रत्यक्ष हुआ उस (अग्निम्) बिजुलीरूप अग्नि का (अथर्ववत्) जैसा अथर्ववेद में मन्थन कहा है, वैसे (अमूरम्) मूढ़ से भिन्न का (मन्थन्ति) मन्थन करते और कार्य्य की सिद्धि को (आ, अनयन्) अच्छे प्रकार प्राप्त करते हैं, उसका आप लोग भी मन्थन करके कार्य्यों को सिद्ध करिये ॥१७॥
Connotation: - जो विद्वान् जन भूमि, अन्तरिक्ष, वायु, आकाश और सूर्य्य आदि से मन्थन करके बिजुली को निकालते हैं, वे अनेक कार्य्यों के सिद्ध करने को समर्थ होते हैं ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्युतं कस्मान्निस्सारयेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! वेधसः श्याव्याभ्यो यमङ्कूयन्तमिममु त्यमग्निमथर्ववदमूरं मन्थन्ति कार्य्यसिद्धिमाऽऽनयंस्तं यूयमपि मथित्वा कार्य्याणि साध्नुत ॥१७॥

Word-Meaning: - (इमम्) प्रत्यक्षम् (उ) (त्यम्) परोक्षम् (अथर्ववत्) यथाऽथर्ववेदे मन्थनं विहितम् (अग्निम्) विद्युतम् (मन्थन्ति) (वेधसः) मेधाविनो विपश्चितः (यम्) (अङ्कूयन्तम्) यस्मिन्नङ्कूनि प्रसिद्धानि चिह्नानि प्राप्नुवन्ति। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (आ) (अनयन्) नयन्ति (अमूरम्) अमूढम् (श्याव्याभ्यः) श्यावीषु रात्रिषु भवाभ्यः क्रियाभ्यः। श्यावीति रात्रिनाम। (निघं०१.७) ॥१७॥
Connotation: - ये विद्वांसो भूम्यन्तरिक्षवाय्वाकाशसूर्य्यादिभ्यो मथित्वा विद्युतं निःसारयन्ति तेऽनेकानि कार्य्याण्यलङ्कर्तुं शक्नुवन्ति ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान भूमी, अन्तरिक्ष, वायू, आकाश व सूर्य इत्यादींद्वारे मंथन करून विद्युत उत्पन्न करतात ते अनेक प्रकारचे कार्य पूर्ण करू शकतात. ॥ १७ ॥