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अ॒स्मा उ॑ ते॒ महि॑ म॒हे वि॑धेम॒ नमो॑भिरग्ने स॒मिधो॒त ह॒व्यैः। वेदी॑ सूनो सहसो गी॒र्भिरु॒क्थैरा ते॑ भ॒द्रायां॑ सुम॒तौ य॑तेम ॥१०॥

English Transliteration

asmā u te mahi mahe vidhema namobhir agne samidhota havyaiḥ | vedī sūno sahaso gīrbhir ukthair ā te bhadrāyāṁ sumatau yatema ||

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Pad Path

अ॒स्मै। ऊँ॒ इति॑। ते॒। महि॑। म॒हे। वि॒धे॒म॒। नमः॑ऽभिः। अ॒ग्ने॒। स॒म्ऽइधा। उ॒त। ह॒व्यैः। वेदी॑। सू॒नो॒ इति॑। स॒ह॒सः॒। गीः॒ऽभिः। उ॒क्थैः। आ। ते॒। भ॒द्राया॑म्। सु॒ऽम॒तौ। य॒ते॒म॒ ॥१०॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:1» Mantra:10 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:36» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

जो पदार्थविद्याप्राप्ति के लिये प्रयत्न करते हैं, वे भाग्यशाली होते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सहसः) बलवान् के (सूनो) पुत्र (अग्ने) विद्वज्जन ! जैसे (समिधा) ईंधन आदि के सदृश विद्या और (नमोभिः) अन्न आदिकों से संपूर्ण स्त्रियों को जो धारण करते हैं और जो आहुति को देखकर जानता है और जो (वेदी) जानते हैं सुखों को जिसमें वह होती है, उसका (गीर्भिः) वाणियों और (उक्थैः) कीर्त्तन करने योग्य वचनों से और (हव्यैः) भोजन करने योग्य पदार्थों से (अस्मै) इस (महे) बड़े (ते) आपके लिये (महि) बहुत (आ) सब प्रकार से (विधेम) सत्कार करें, उन वाणियों के सहित आप लोग (उ) भी (उत) और हम भी (ते) आपकी (भद्रायाम्) कल्याणकारिणी (सुमतौ) उत्तम बुद्धि में (यतेम) प्रयत्न करें ॥१०॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप लोग इस प्राणियों के समुदाय के लिये सामग्री से यज्ञ करें ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

ये पदार्थविद्याप्राप्तये प्रयतन्ते ते भाग्यशालिनो जायन्त इत्याह ॥

Anvay:

हे सहसः सूनोऽग्ने ! यथा समिधा नमोभिर्विश्वा वामा ये दधते य आहुतिं दृष्ट्वा परिवेद। या वेदी भवति तां गीर्भिरुक्थैर्हव्यैरस्मै महे ते मह्याविधेम ताभिर्वाग्भिस्सहिता यूयमु उत वयं च ते भद्रायां सुमतौ यतेम ॥१०॥

Word-Meaning: - (अस्मै) (उ) (ते) तुभ्यम् (महि) महत् (महे) महते (विधेम) सत्कुर्य्याम (नमोभिः) अन्नादिभिः (अग्ने) विद्वन् (समिधा) इन्धनादिनेव विद्यया (उत) अपि (हव्यैः) अत्तुमर्हैः (वेदी) विदन्ति सुखानि यस्यां सा (सूनो) अपत्य (सहसः) बलवतः (गीर्भिः) वाग्भिः (उक्थैः) कीर्त्तनीयैर्वचनैः (आ) (ते) तव (भद्रायाम्) (सुमतौ) उत्तमायां प्रज्ञायाम् (यतेम) प्रयत्नं कुर्य्याम ॥१०॥
Connotation: - हे मनुष्या ! युष्माभिरस्मै प्राणिसमुदायाय सामग्र्या यज्ञो विधेयः ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! तुम्ही सर्व प्राण्यांसाठी सामग्रीद्वारे यज्ञ करा. ॥ १० ॥