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अ॒पा॒रो वो॑ महि॒मा वृ॑द्धशवसस्त्वे॒षं शवो॑ऽवत्वेव॒याम॑रुत्। स्थाता॑रो॒ हि प्रसि॑तौ सं॒दृशि॒ स्थन॒ ते न॑ उरुष्यता नि॒दः शु॑शु॒क्वांसो॒ नाग्नयः॑ ॥६॥

English Transliteration

apāro vo mahimā vṛddhaśavasas tveṣaṁ śavo vatv evayāmarut | sthātāro hi prasitau saṁdṛśi sthana te na uruṣyatā nidaḥ śuśukvāṁso nāgnayaḥ ||

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Pad Path

अ॒पा॒रः। वः॒। म॒हि॒मा। वृ॒द्ध॒ऽश॒व॒सः॒। त्वे॒षम्। शवः॑। अ॒व॒तु॒। ए॒व॒याम॑रुत्। स्थाता॑रः। हि। प्रऽसि॑तौ। स॒म्ऽदृशिः॑। स्थन॑। ते। नः॒। उ॒रु॒ष्य॒त॒। नि॒दः। शु॒शु॒क्वांसः॑। न। अ॒ग्नयः॑ ॥६॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:87» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:34» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वानों को किनका निवारण करके किनका सत्कार करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वृद्धशवसः) बढ़े हुए बलवालो ! (स्थातारः) स्थित होनेवाले (अग्नयः) अग्नियाँ (न) जैसे वैसे (वः) आप लोगों का जो (अपारः) अपार (महिमा) बड़प्पन और (एवयामरुत्) बुद्धिमान् मनुष्य (त्वेषम्) प्रकाशित (शवः) बल की (अवतु) रक्षा करे (हि) जिससे कि (प्रसितौ) प्रकृष्ट बन्धन के रहने पर (निदः) निन्दा करनेवाले (शुशुक्वांसः) शोक से युक्त होवें (ते) वे आप लोग (संदृशि) तुल्य दर्शन में (स्थन) स्थित हूजिये और (नः) हम लोगों का (उरुष्यता) सेवन करिये ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जो निन्दक अर्थात् मिथ्यावादी होवें, उनको सदा बन्धन में प्रविष्ट करिये और जो महाशय, परोपकारी स्तुति करने और सत्य बोलनेवाले होवें, उनका सदा सत्कार करिये ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्भिः कान्निवार्य के सत्कर्त्तव्या इत्याह ॥

Anvay:

हे वृद्धशवसः स्थातारोऽग्नयो न वो योऽपारो महिमैवयामरुत्त्वेषं शवश्चावतु हि प्रसितौ निदः शुशुक्वांसः सन्तु ते यूयं संदृशि स्थन नोऽस्मानुरुष्यता ॥६॥

Word-Meaning: - (अपारः) पाररहितः (वः) युष्माकम् (महिमा) (वृद्धशवसः) वृद्धं शवो बलं येषां तत्सम्बुद्धौ (त्वेषम्) प्रकाशितम् (शवः) बलम् (अवतु) (एवयामरुत्) (स्थातारः) ये तिष्ठन्ति (हि) यतः (प्रसितौ) प्रकृष्टे बन्धने (संदृशि) समानदर्शने (स्थन) तिष्ठत (ते) (नः) अस्मान् (उरुष्यता) सेवध्वम्। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (निदः) ये निन्दन्ति (शुशुक्वांसः) शोकयुक्ताः (न) इव (अग्नयः) पावकाः ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! ये निन्दका अर्थान्मिथ्यावादिनः स्युस्तान् सदा बन्धने प्रवेशयत। ये च महाशयाः परोपकारिणः स्तावकाः सत्यवादिनः स्युस्तान् सर्वदा सत्कुरुत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जे निंदक अर्थात् मिथ्यावादी असतील त्यांना सतत बंधनात ठेवावे व जे उदात्त पुरुष परोपकारी, प्रशंसक व सत्यवचनी असतील त्यांचा सदैव सत्कार करावा. ॥ ६ ॥